नई दिल्ली। यह शब्द समझते है की स्वास्थ का महत्व क्या है,लेकिन क्या इतनी गंभीरता से चिकित्सा व्यवस्था मजबूत करने के लिए काम हुआ ? सवाल खुला है तो जबाब भी उजागर ही है। यह आकड़ो में दर्ज है की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उतर प्रदेश में आजादी के बाद सात दर्शको में यानि 2017 तक महज 12 मेडिकल कॉलेज थे। कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के संसाधन नहीं थे। लकिन आज 42 नए मेडिकल कॉलेज है। कोरोना से जंग जीतने में हुए प्रयासों की विश्व स्वास्थ संगठन ने भी तारीफ की।

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242 नयी लैब स्थापित
स्वास्थ के क्षेत्र में हर सरकार के पास बहुत कुछ करने का मौका होता है लकिन योगी सरकार के सामने चुनौतियां बहुत रही। स्वास्थ ढांचा मजबूत करने के लिए कदम बढ़ाया ही था की सफर में कोरोना अटैक पड़ गया। यह एक बड़ी चुनौती थी। मार्च 2020 में सिर्फ 60 सैंपल जांच की क्षमता केजीएमयू की लैब में थी। जीत जज्बे की हुई। कोविद 19 के 674 हॉस्पिटल में डेढ़ लाख बेड की व्यवस्था की गयी। जांच की क्षमता 60 से बढ़कर दो करोड़ हो गयी है। सबसे अधिक 3.18 करोड़ कोरोना जांच कर उत्तर प्रदेश ने रिकॉर्ड बनाया। वर्ष भर में ही 242 नयी लैब स्थापित होगी। कोरोना से संक्रमित हुए 6.94 लाख मरीज में से 5.94 लाख यानि 98.2 फीसद मरीज ठीक हो चुके है। मृत्यु दर मात्र 1. 4 फीसद पर ठीक गयी। अब दबा है महामारी से निपटने में सक्षम होने का है।

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95 फीसद घटी मृत्यु दर
सरकार अपनी उपलब्धिया गिनती है की रायबरेली व गोरखपुर में एम्स में ओपीडी सेवाओं के साथ ही 2019 -20 से एमबीबीएस की पढाई शुरू की। चार साल एमबीबीएस की 2,488 सीटें बढ़ाई गयी। दिमागी बुखार में 95 फीसद घटी मृत्यु दर 2020 में मात्र 95 रोगी मिले , 9 की मृत्यु हुई। मृत्यु दर में 95 फीसद कमी हुई।
सुपर स्पेशलिटीय ब्लॉक स्थापित
उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जान आरोग्य योजना के तहत 1.18 करोड़ परिवारों के 6.47 करोड़ लोगो को लाभ दिया जा रहा है। सुपर स्पेशलिटीय सेवा पर जोर दिया जारा है। संजय गाँधी पीजीआई में प्रदेश की प्रथम रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत हुई। झांसी , गोरखपुर, मेरठ व प्रयागराज के राजकीय मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटीय ब्लॉक स्थापित हो चुके है।