नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर पूरे देश और दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे वक्त में कोविड-19 की टेस्टिंग राज्यों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। अपेक्षाकृत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले राज्य महाराष्ट्र और दिल्ली में कम टेस्टिंग के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। कोरोना केसेस के आंकड़े को देखें तो लगता है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दिल्ली के अरविंद केजरीवाल ने कोरोना के सामने हार मान ली है तो वही दूसरी तरफ इस लड़ाई में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योद्धा बनकर उभरे हैं। प्रतिदिन 15 हजार से ज्यादा की टेस्टिंग कर उत्तर प्रदेश सरकार ने देश के अन्य राज्यों की सरकारों के सामने एक मानक स्थापित किया है। अब तो योगी सरकार की तारीफ में दुश्मन देश पाकिस्तान में भी कसीदे पढ़े जा रहे हैं।

कोविड से निपटने के दमदार प्रबंधन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां योगी सरकार की जम कर तारीफ की है, वहीं दिल्ली में कोरोना से बदतर हालात को लेकर पहले हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को जम कर फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र और केरल की सरकारों के रवैये पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने सभी राज्यों से 27 तारीख तक स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।

कोरोना से निपटने की सबसे दमदार और सफल रणनीति लागू कर दुनिया के सामने मिसाल पेश कर चुकी योगी सरकार ने एक बार फिर कोरोना को मात देने के लिए कमर कस ली है. डब्ल्यू एचओ से तारीफ पा चुकी यूपी सरकार ने सीमावर्ती जिलों में कोरोना के खिलाफ मोर्चेबंदी तेज कर दी है. रिकार्ड टेस्टिंग क्षमता और कोरोना अस्पतालों की श्रृंखला के साथ सरकार ने कांटैक्ट ट्रेसिंग भी तेज कर दी है ।

भारत का ‘वुहान’ बन चुके महाराष्ट्र में कोरोना का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिल रहा है।। महाराष्ट्र में अब तक 98 हजार मामले सामने आए हैं, तो 3500 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति आर्थिक राजधानी मुंबई की है, जहां से 53985 केस हैं। देश के विकसित राज्यों में से एक महाराष्ट्र में प्रतिदन 14 हजार टेस्टिंग ही हो रही है।