जानिए ब्लैक फंगस शरीर पर किस तरह करता है हमला, समय से पहले पहचानें लक्षण

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नई दिल्ली: देश इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है और पिछले सप्ताह की तुलना में इस सप्ताह भले ही संक्रमण के मामलों में कुछ कमी आयी हो लेकिन अब भी खतरा टला नहीं है. लिहाजा सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है. कोरोना महामारी के बीच एक और बीमारी ने लोगों को बुरी तरह से डरा दिया है और उसका नाम है ब्लैक फंगस. इस बीमारी को मेडिकल टर्म में म्यूकोरमायकोसिस कहते हैं और यह बीमारी कोरोना से रिकवर होने के बाद मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रही है.

Black Fungus Treatment
Black Fungus Treatment

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ट्वीट करके ब्लैक फंगस के बारे में जानकारी दी और बताया कि आखिर ये बीमारी क्या है, किन लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा है, ब्लैक फंगस के लक्षण क्या हैं और बीमारी से बचने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं. स्वास्थ्य मंत्री की मानें तो अगर लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता हो और शुरुआत में ही लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो बीमारी को जानलेवा होने से रोका जा सकता है.

Black Fungus Treatment : ब्लैक फंगस से बचने के लिए अभी से शुरू कर दें ये उपाय

जानिए कैसे शिकार बनता है

ब्लैक फंगस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जो कोरोना वायरस की वजह से शरीर में ट्रिगर होता है. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मानें तो ब्लैक फंगस एक दुर्लभ बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है और यह उन लोगों में ज्यादा देखने को मिल रहा है जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त थे या फिर जिन लोगों की इम्यूनिटी बेहद कमजोर है.

इन लोगों पर होता है ज्यादा असर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट के जरिए बताया कि आखिर किन लोगों को ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा है. हर्षवर्धन की मानें तो, जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी है और जिनका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता, जो लोग स्टेरॉयड लेते हैं जिसकी वजह से उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, वैसे लोग जो कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में भर्ती रहते हैं, वैसे लोग जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो या फिर जिन्हें कोई और गंभीर फंगल इंफेक्शन हुआ हो- ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस होने का खतरा अधिक होता है.

ये हैं लक्षण

ब्लैक फंगस के लक्षणों पर अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो मरीज की जान बचायी जा सकती है:

-आंखों में या आंखों के आसपास लालिपन आना या दर्द महसूस होना

-बार-बार बुखार आना

-सिर में तेज दर्द होना

-खांसी और सांस लेने में तकलीफ महसूस होना

-खून की उल्टियां आना

-मानसिक स्थिति में बदलाव महसूस होना

इन बातों का रहे ध्यान

बेहद जरूरी है कि मरीज हाइपरग्लाइसीमिया से बचे यानी अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखे. कोविड-19 से ठीक होने के बाद और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आने के बाद भी लगातार ग्लूकोमीटर की मदद से अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करना जरूरी है. स्टेरॉयड का बहुत अधिक इस्तेमाल न करें और सही डोज और समय अंतराल का पता होना चाहिए. साथ ही एंटीबायोटिक्स और एंटी फंगल दवा का भी उचित इस्तेमाल करें. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमीडिफायर के लिए साफ और कीटाणुरहित पानी का इस्तेमाल करें.

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