नई दिल्ली : कटरीना, लीजा, लैरी, हिकाका, बुलबुल, पैलिन, हुदहुद, फैनी, निसर्ग, निवार और अंफान ….जैसे चक्रवातों के नाम हम सुन चुके हैं, जिन्हें तबाही का दूसरा नाम कहना भी गलत नहीं है। वहीं अब कोरोना संकट के बीच तबाही का मंजर मुट्ठी में दबाकर ‘तौकाते’ चक्रवात आ रहा है, जिससे लोगों की जान और माल की सुरक्षा के लिए सरकार ने हरंसभव प्रयास किए हैं।

ऐसे बनते हैं चक्रवात
पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है. समुद्र के ऊपर भी जमीन की तरह ही हवा होती है. हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की तरफ बहती है. जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है. जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है. इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है. आस पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है. लेकिन पृथ्वी अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमती रहती है. इस वजह से यह हवा सीधी दिशा में ना आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है. इसे चक्रवात कहते हैं.
इसलिए रखा जाता है इनका नाम
तबाही मचाने वाले चक्रवातों का नामकरण करने के पीछे की मुख्य वजह ये है कि इनको लेकर आम लोग और वैज्ञानिक स्पष्ट रह सकें। बता दें कि तौकाते नाम म्यांमार से आया है। इसका मतलब होता है अधिक शोर करने वाली छिपकली।
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चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत
अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई। जबकि हिंद हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। साल 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी जोड़ा गया। यदि किसी तूफान के आने की आशंका बनती है तो ये 13 देशों को क्रमानुसार 13 नाम देने होते हैं।
जानिए नामकरण की प्रकिया
नामकरण करने वाली समिति में शामिल देश जो नामों की सूची देते हैं, उनको समिति में शामिल देशों के अल्फाबेट के हिसाब से नामों को सूचीबद्ध किया जाता है। जैसे अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले बांग्लादेश, फिर भारत का और इसी तरह ईरान व अन्य देशों का नाम आएगा, जिनके सुझाए गए नाम पर चक्रवात का नामकरण किया जाता है। चक्रवातों का नामकरण करने का हर बार अलग देश का नंबर आता है। यह क्रम ऐसे ही चलता रहेगा।