नई दिल्ली: कोरोनावायरस जैसी महामारी शायद ही किसी ने पहले देखी हाेगी जिसनें पूरी दूनिया पर अपना कहर बरपाया है. जिससे सभी उबरने की कोशिश कर रहे है. कोविड-19 कितने ही स्ट्रेन चेंज कर रहा है, म्यूटेशन के जरिए. हम एंटीडॉट्स, मेडिसिन या वैक्सीन विकसित करते हैं, और ये सूक्ष्मजीव हमें संक्रमित करने के नए तरीके विकसित कर लेते हैं।

ग्लेशियरों के नीचे छिपे है तमाम वायरस-
अभी लाेग काेराेना से उबरे भी नही है, कि यह जानकारी सामने आ रही है कि ऐसे बहुत सारे वायरस दुनिया पर कहर ढाने का जैसे इंतजार ही कर रहे हैं. ग्लेशियरों के नीचे ऐसे तमाम वायरस छिपे हो सकते हैं जिनके बारे में हमें नहीं पता. ऐसे वायरसों से निपटने के लिए वैज्ञानिक शोध भी शुरू हो चुके हैं।
बता दें कि वैज्ञानिकाें का कहना है कि इन वायरसाें काे लाेग आने पर मजबूर कर रहे हैं. जिसकी वजह है ग्लेशियर्स, जिनका लगातार पिघलना खतरे को बढ़ाता जा रहा है. ग्लेशियर बर्फ के पिघलने के साथ, सदियों से उनमें दफन वायरस और बैक्टीरिया बाहर आ सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक अलास्का के टुंड्रा क्षेत्र में दफनाए गए शवों में साइंटिस्ट्स को 1918 के स्पेनिश फ्लू वायरस के आरएनए के अवशेष मिले हैं, चेचक और बुबोनिक प्लेग के संक्रमित अवशेष भी साइबेरियाई बर्फ में दफन हैं. ग्लेशियरों के इस तरह पिघलने से सिर्फ समुद्र का जल स्तर ही ऊंचा नहीं उठा रहा, बल्कि हमारी मौत के दूतों को हम तक पहुंचाने का भी इंतजाम कर रहा है।
कोरोना वायरस ने सिखाया सबक-
कोरोना वायरस ने हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया है, कि हमें क्लाइमेट चेंज के कारण ग्लेशियरों का पिघलना रोकने के लिए लगातार प्रयास करना होगा. कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान जितने समय तक भी लॉकडाउन रहा, कार्बन डाइऑक्साइड का एमिशन कम हुआ. और इसकी वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग पर काफी हद तक फर्क पड़ा है।

उठाने हाेंगे यह कदम-
1.बिजली की खपत कम से कम करने का प्रयास करें. जब जरूरत न हो लाइट बंद करने या डिवाइसेज को अनप्लग करने जैसी बातें छोटी लगती हैं, लेकिन यह अत्यधिक कारगर भी हैं।
2. दूसरा रियूज, रिसाइक्लिंग पर जोर,व्यक्तिगत स्तर पर सबसे ज्यादा जरूरी है साइकिल चलाना। जहां तक संभव हो, कहीं आने-जाने के लिए हम साइकिल का ही इस्तेमाल करें।
3. तीसरा, पब्लिक ट्रांसपोर्ट या इको फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट पर जोर,और अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात, जलवायु परिवर्तन के कारणों और रोकथाम के बारे में अपने आसपास सबको बताना, सचेत करना और सरकार पर ऐसी नीतियों के लिए हर संभव तरीके से दबाव बनाना।