50वीं विजय दिवस के अवसर पर पीएम मोदी पहुंचे नेशनल वॉर मेमोरियल

Vijay Diwas 2020
Vijay Diwas 2020

नई दिल्ली : पाकिस्तान पर भारत के विजय की 50वीं वर्षगांठ (1971 का युद्ध ) के आयोजन की शुरुआत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नेशनल वार मेमोरियल पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50 वीं वर्षगांठ पर नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50 वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ को प्रज्जवलित किया. इस मौके पर चार विजय मशाल प्रज्जवलित किए गए. इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस बिपिन रावत के साथ अलावा तीनों सेनाओं के प्रमुख उनके साथ मौजूद रहे।

अनन्त ज्योति से प्रज्ज्वलित चार विजय मशाल-

नेशनल वॉर मेमोरियल की अनन्त ज्योति से प्रज्ज्वलित चार ‘विजय मशाल’ (ज्वाला) 1971 युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाई जाएगी. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50 वीं वर्षगांठ पर नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50 वीं वर्षगांठ पर ‘स्वर्णिम विजय वर्षा’ के लिए लोगो का अनावरण किया।

Vijay Diwas 2020
Vijay Diwas 2020

 

ये मशाल 1971 के युद्ध के लिए वीर चक्र तथा महावीर चक्र विजेताओं के गांवों में भी जाएंगी। इन पदक विजेता वीरों के गांवों तथा जहां अहम लड़ाई लड़ी गई, उन जगहों की मिट्टी नेशनल वार मेमोरियल लाई जाएगी। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर विजय हासिल किए जाने की याद में भारत 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाता है। इसी विजय से बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।

दिल्ली से शुरु होगी विजय यात्रा-

इस मौके पर चार विजय मशाल को विजय यात्रा के माध्यम से देशभर में ले जाया जाएगा. विजय यात्रा दिल्ली से चलकर मथुरा होते हुए भरतपुर, अलवर, हिसार, जयपुर, कोटा, आदि सैन्य छावनी क्षेत्रों और उनके दायरे में आने वाले शहरों का भ्रमण करती हुई वापस दिल्ली पहुंचेगी. यात्रा की अवधि एक साल की होगी. यात्रा बांग्लादेश की राजधानी ढाका भी जाएगी।

कैसे हुई विजय दिवस की शुरुआत-

16 दिसंबर, 1971 को देश की पश्चिमी सीमा पर बसंतर नदी के किनारे खुले मोर्चे पर भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को हरा दिया था. इसलिए भारतीय सेना 16 दिसम्बर को ‘विजय दिवस’ मनाती है. पाकिस्तान ने इस युद्ध में 93 हजार सैनिकों के साथ सरेंडर किया था।

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