नई दिल्ली। लखनऊ समेत प्रदेश के कई बड़े शहरों का मास्टर प्लान बदलेगा। बताया जारा है की कुछ शहरों के लिए नया मास्टर प्लान बनाया जाएगा तो कुछ शहरों का संसोधन होगा। इसमें नए सिरे से शहरों के तमाम क्षेत्रों का भू उपयोग निर्धारित होगा। प्रमुख सचिव आवास ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। कमेटी तीन माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। उसके के बाद लखनऊ के 2031 तक के मास्टर प्लान में परिवर्तन होगा। रिपोर्ट के हिसाब से ही गाजियाबाद, कानपुर, प्रयागराज समेत अन्य बड़े शहर के मास्टर प्लान में भी बदलाव होंगे।

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बड़े शहरों के मास्टर प्लान में बदलाव-
लखनऊ सहित प्रदेश के कई बड़े शहरों के मास्टर प्लान में बदलाव होने जा रहा है। तीन फरवरी को इसके लिए प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने आदेश जारी किया है। शहरों में मौजूदा जरूरतों के हिसाब से भू उपयोग सानुषित कि जाएगी । नदियों, हवाई अड्डा, बस स्टैंड, सैन्य क्षेत्रों सहित तमाम चीजों को मास्टर प्लान में प्रदर्शित किया जाएगा। प्लान जीआईएस पर आधारित होगा।

विकास योजना का प्रस्ताव शामिल
बताया जरा है की मास्टर प्लान में पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित की गई इमारतों, इसके निर्धारित 200 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक जैसी चीजें भी शामिल की जाएंगी। जिन लोगों ने लैंड यूज के विरुद्ध निर्माण कराएं हैं उनका समायोजन मास्टर प्लान में शासनादेश के अनुसार ही हो पाएगा। संबंधित प्राधिकरण की बोर्ड से प्रस्ताव पास होने पर ही इसमें संशोधन होगा। नदियों के इकोसिस्टम के संरक्षण व विकास योजना का प्रस्ताव शामिल किया जाएगा।

वन पर विशेष फोकस-
प्रदेश के मास्टर प्लान में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, रिजर्व फॉरेस्ट,पर्यावरण एवं वन व अन्य संरक्षित जगहों पर जरूर ध्यान रखा जाएगा। इन क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए मास्टर प्लान में इनका अलग से मार्किंग होगी। वन विभाग से इनका नोटिफिकेशन स्पष्ट गजट भी कराया जाएगा। अवस्थपाना सुविधाओं के लिए नए सिरे से लैंड यूज निर्धारित किया जाएगा। परिवहन प्रणाली, जलापूर्ति, ड्रेनेज, सीवरेज सीवेज, ट्रीटमेंट प्लांट, विद्युत आपूर्ति सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट का भी परीक्षण होगा।