UP के पूर्व मुख्यमंत्री ने योगी सरकार के बजट पर कहा – खेल खत्म, पैसा हजम

खेल खत्म, पैसा हजम
खेल खत्म, पैसा हजम

नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को यहां पार्टी कार्यकर्ताओं के एक कार्यक्रम में प्रदेश सरकार की बजट पर कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नीत सरकार का आखिरी बजट आज पेश हुआ है। यह आखिरी बजट था और इसके बाद मुख्यमंत्री कुछ चाहेंगे तो भी नहीं मिल सकता, ‘‘इसके साथ खेल खत्म, पैसा हजम।’’ उन्होंने कहा, ‘यह पैसा भाजपा ने कैसे खत्म किया है, वह हम और आप नहीं समझ पाए। हमें तो उम्मीद थी कि जो बजट आएगा, इसमें गरीब के लिए, किसान के लिए कुछ राहत होगी। लेकिन गरीब को वही धोखा मिला जो भाजपा पहले दिन से देते आई है।’’

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उद्योगपतियों के लिए फैसले ले रही सरकार

कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के लिए नहीं, बल्कि उद्योगपतियों के लिए फैसले ले रही है। कानून किसानों के लिए लाया गया है, लेकिन वह उन्हें नहीं चाहते हैं, ऐसे में कृषकों पर कानूनों को थोपने की क्या जरुरत है। अगले वर्ष प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से पूर्व अखिलेश यादव ने ब्राह्मण समाज के कई प्रबुद्ध नेताओं- मनोज पांडेय, विनय पांडेय, बब्बन दूबे, प्रभाकर शर्मा, रुद्र ओझा के समाजवादी पार्टी से जुडऩे का स्वागत किया। इन नेताओं ने सपा प्रमुख को भगवान परशुराम की प्रतिमा भेंट की।

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भगवान परशुराम के नाम पर अवकाश घोषित

उन्होंने कहा, ‘हमने भगवान परशुराम के नाम पर अवकाश घोषित किया था। इसी तरह विश्वकर्मा जयंती पर अवकाश दिया जाता था, लेकिन इन लोगों (भाजपा नीत सरकार) ने भगवान परशुराम, विश्वकर्मा जयंती पर दी जाने वाली छुट्टी खत्म कर दी। सभी वर्गों के लोगों के सपा से जुडने का दावा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा, जो सत्ता में आज बैठे हैं, जिनके पास 324 सीटें हैं, उनके लोग भी बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी से जुड़ेंगे।

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MSP पर किया सरकार का घेराव

डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि पर सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा, ‘सरकार यह कहती है कि इन पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। यही तो हम भी कह रहे हैं कि आप किसानों को कंपनियों के भरोसे छोड़ दोगे तो किसानों को एमएसपी (फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य) कौन देगा। कल ये कंपनियां हमारे किसानों का सबकुछ खरीद लेंगी तो उसका बाजार में भाव क्या होगा। इसलिए किसान को बाजार पर नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि कीमतें बाजार तय करती हैं।

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