नई दिल्ली : हांगकांग में दमनकारी नीतियों को लेकर चीन और ब्रिटेन में तकरार जारी है। इस बीच चीन द्वार लागू राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के डर से हांगकांग के हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर हमेशा के लिए ब्रिटेन पहुंचे हैं। लोगों को डर सता रहा है कि लोकतंत्र की मांग करने के कारण उन्हें दंडित किया जा सकता है। इसलिए वे अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की खातिर विदेश जाकर बसने पर मजबूर हैं।

कर रहे हैं लोकतंत्र की मांग-
हांगकांग में लोकतंत्र की मांग को लेकर कई महीने तक प्रदर्शन हुए जिसके बाद चीन ने वहां नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर दिया था। इसके बाद ही ब्रिटेन ने हांगकांग के लोगों को नागरिकता देने की योजना पर बात की थी। लोगों का कहना है कि चीन ने उनसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निष्पक्ष चुनाव, आजादी- सब कुछ छीन लिया गया है।
जॉनसन ने बताया हांगकांग और ब्रिटेन का रिश्ता
ब्रिटेन ने जुलाई में घोषणा की थी कि वह हांगकांग के 50 लाख लोगों के लिए विशेष आव्रजन मार्ग खोलेगा, ताकि वे ब्रिटेन में रह सकें, काम कर सकें और अंतत: यहां बस सकें। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि यह प्रस्ताव ब्रिटेन और हांगकांग के रिश्ते को दर्शाता है। बता दें कि हांगकांग पहले ब्रिटेन का उपनिवेश था, लेकिन बाद में इस समझौते के साथ वह 1997 में चीन के अधीन आया कि उसकी पश्चिमी शैली की आजादी और राजनीतिक स्वायत्ता बरकरार रहेगी।
अधिकार लिए दे सकते हैं आवेदन
जानकारी के मुताबि ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज (बीएनओ) वीजा के लिए रविवार से आवेदन आधिकारिक रूप से आमंत्रित किए जाएंगे, लेकिन कई लोग पहले ही ब्रिटेन पहुंच चुके हैं। हांगकांग निवासी अब पांच साल तक देश में रहने एवं यहां काम करने के अधिकार के लिए आवेदन कर सकते है। इसके बाद, वे यहां बसने और अंतत: ब्रितानी नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।