दिल्ली: भारत की सोच हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम की रही है, जिसका अर्थ होता ही विश्व एक परिवार वही बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत समूची दुनिया को एक परिवार मानता है जबकि दूसरे देश इसे बाजार मानते हैं। साथ ही, भारत दुनिया की अगुआई करने में सक्षम है.… Continue reading हमारे लिए विश्व एक परिवार, ‘उनके’ लिए बाजार- सरसंघचालक मोहन भागवत