दिल्ली: किसान आंदोलन में वामपंथियों और माओवादियों की घुसपैठ वाले बयानों को लेकर राजनीति गरमा गई है। जिसपर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बयान दिया था कि किसान आंदोलन अब माआवादियों और वामपंथियों के हाथों में चला गया है. बता दें कि इसपर पलटवार करते हुए किसान संगठनों ने कहा कि अगर ऐसा है तो केंद्र उन लोगों को सलाखों के पीछे डाल दे।

शिरोमणि अकाली दल पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि किसान संगठनों को खालिस्तानियों और राजनीतिक दलों का नाम देकर आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है. उन्होने यह भी कहा की अगर कोई केंद्र से असहमत है, तो वे उन्हें देशद्रोही कहते हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसे बयान देने वाले मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. हम केंद्र के इस रवैये और ऐसे बयानों की निंदा करते हैं।
क्या कहा रेलवे मंत्री ने-
सरकार हमेशा से आमजन की आवाज़ दबाती रही है, कभी आतंकवाद कभी पाकिस्तान तो अब किसानों के लिए खालिस्तान। देश के किसान अड़ गए और उनके साथ विपक्ष भी आकर खड़ी हो गयी तब जाकर सरकार ने यह शब्द वापस लिया लेकिन इनके नेता आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए आये दिन अनाप-शनाप बयान बाजी करते रहते हैं ऐसा ही किसान आंदोलन को लेकर रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने कहीं अधिक मुखरता से आरोप लगाते हुए कहा है, कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण अपने हाथो में संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और ही एजेंडा चला रहे हैं। देश के अन्नदाताओं को लेकर सरकार का यह नज़रिया है।