नई दिल्ली : पंजाब सरकार और रेलवे बोर्ड में यात्री और मालगाड़ियों को चलाने की बात पर विवाद उत्पन्न हो गया है। वहीं राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार पंजाब की इसी कमजोरी का फायदा उठाना चाहती है, और इसको को अपना हथियार बना रही है।

पंजाब में मालगाड़ियां चलाने के लिए किसानो ने रेलवे ट्रैक खाली कर दिये हैं।उसके विपरीत केंद्र मालगाड़ियों के साथ यात्री गाड़ियां भी चलाना चाहता है। दोनों सरकारो मे ठनी हुई है जिस की वजह से दीपावली के सीजन में पंजाब के व्यापारियों को आर्थिक नुकसान और अधिक झेलना पड़ सकता है।
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व्यापारी वर्ग को नुकसान
बता दे कि पंजाब के व्यापारी और आम जनता को ध्यान में देखते हुए पंजाब के किसानों ने रेल ट्रैक खाली कर दिये है। ताकि मालगाड़ियां चल सकें और जरूरत का सामान पंजाब में आ सके लेकिन केंद्र पंजाब को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है। पंजाब सरकार का कहना है कि मालगाड़ियों का संचालन किया जा सकता है क्योकि किसान सभी रेल ट्रैक से उठ गए हैं और तभी मालगाड़ियां नहीं चलाई जा रही है।

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यूरिया और कीटनाशक के बिना बूआई
किसानों संगठनो का कहना है कि यूरिया और कीटनाशक के बिना ही गेहूं ती फसल की बूाई की जाएगी। इस समय केंद्र सरकार और राज्य में ठनी हुई है। वही हालत को देखते हुए अगर रेल मंत्रालय 18 नवंबर तक मालगाड़ियां नहीं चलाता है तो किसान बड़े और लंबे संघर्ष को तैयार है।दूसरी ओर किसानों को मालगाड़ी चलने या नही चलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन व्यापारी वर्ग को नुकसान झेलना पड़ेगा। किसानों को देश की चिंता है। किसान बिना यूरिया और कीटनाशक के ही गेहूं की बूआई कर अपनी आने वाली पीढ़ी को बचाना चाहते है। वही रेलवे बोर्ड ने 13 नवंबर से मालगाड़ियों को चलाने की बात कही है।
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किसान संगठन का कहना है कि अगर केंद्र सरकार 18 नवंबर तक मालगाड़ियां नही चलाता तो पंजाब से होने वाली सपलाई जैसे कि पानी, बिजली और दूध को अन्य राज्यों को नहीं देंगे। वही किसान को प्रशासन से आश्वासन मिला है कि मालगाड़ी को चलाने में किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए जरूरी प्रबंध किए जा रहै है।