दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में हर रोज एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. जिसमे विपक्षी दलों की तरफ से रोज नई टिप्पणी सुनने को मिलती है. और अब कांग्रेस ने यह दावा किया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में 11 किसानों की मौत हो चुकी है, और इसके बाद भी केंद्र सरकार का दिल नहीं पसीज रहा.
जा रही है किसानों कि जान-
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया है कि, “कृषि कानूनों को हटाने के लिए हमारे किसान भाइयों को और कितनी आहुति देनी होगी?”

राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इसी खबर का हवाला देते हुए दावा किया है, उन्होने लिखा कि “पिछले 17 दिनों में 11 किसान भाईयों की शहादत के बावजूद निरंकुश मोदी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा। सरकार अब भी अन्नदाताओं के नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है? देश जानना चाहता है- ‘राजधर्म’ बड़ा है या ‘राजहठ’?”
आपको बता दें कि कांग्रेस के दोनों नेताओं ने जिस खबर का हवाला दिया है उसके मुताबिक, दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में बीमार पड़ने के बाद 11 किसानों की मौत हो चुकी है।
माओवादी और वामपंथीयों पर आरोप-
सरकार हमेशा से आमजन की आवाज़ दबाती रही है, कभी आतंकवाद कभी पाकिस्तान तो अब किसानों के लिए खालिस्तान। देश के किसान अड़ गए और उनके साथ विपक्ष भी आकर खड़ी हो गयी तब जाकर सरकार ने यह शब्द वापस लिया लेकिन इनके नेता आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए आये दिन अनाप-शनाप बयान बाजी करते रहते हैं ऐसा ही किसान आंदोलन को लेकर रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने कहीं अधिक मुखरता से आरोप लगाते हुए कहा है, कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण अपने हाथो में संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और ही एजेंडा चला रहे हैं। देश के अन्नदाताओं को लेकर सरकार का यह नज़रिया है।