नई दिल्ली:- पंजाब और हरियाणा जैसे कई राज्यों के किसान बॉर्डर पर किसान बिल कस खिलाफ मोर्चा खोल कर बैठे हैं लेकिन सरकार भी बिल वापिस न लेने पर मोर्चा बंधे हुए है. देश में आंदोलन तो कई सालो से चले आ रहे हैं लेकिन किसानो का यह आंदोलन इतना लम्बा चलेगा शायद ही किसी ने सोचा था. जहाँ सरकार अपने बिल को वापिस नहीं लेना चाह रही उसी प्रकार किसान भी अपने आंदोलन से टस से मस नहीं हो रहे. वहीँ अब किसान आंदोलन की आड़ में छिपे राजनितिक एजेंडे का धीरे धीरे पर्दाफाश होने लगा है।
आन्दाेलन की आड़ में राजनीति
जहाँ केंद्र और किसान के बीच गतिरोध का फायदा कुछ राजनितिक पार्टियां उठा रही हैं. जहाँ एक तरफ तो वे किसानो के समर्थन की बात करते हैं वहीँ दूसरी ओर वे किसानो को केंद्र सरकार के खिलाफ भड़काते हुए भी नज़र आते हैं जहाँ वे बीजेपी को वोट न देने की किसानो को कसम खिलाते हुए दिखते हैं.अगर आंदोलन है तो राजनितिक पार्टियों का फायदा होना लाज़मी है चाहे वे मासूम किसानो को भड़काकर किया जाए या किसी दूसरे तरीके से. बता दे की किसान बिल से किसानो के अपने नुकसान होने का डर है जिसके कारण वे किसान आंदोलन को वापिस लेने की ज़िद पर अड़े हुए हैं. कई बैठक होने के बाद भी किसानो को संतुष्टि नहीं मिल पायी है और न सरकार अपने फैसले को वापिस लेने को तैयार हो रही है.

विराेध में लूण – लाेटा प्रथा का इस्तेमाल
वहीँ अब केंद्र सरकार ने यह दावा किया है की यह आंदोलन किसानो का नहीं बल्कि विरोधी राजनीतिक पार्टियों का है जो की किसानो भड़का रहे हैं. वहीँ दूसरी ओर बीजेपी विरोधी दाल यह दावा करता आया है की वह किसानो के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं न की किसी लालच में. इसी बीच सिंघु बॉर्डर पर बीजेपी को वोट न देने की कसम खिलवाने की बात सामने आयी है. इसके लिए सिंघु बॉर्डर पर पानी भर लोटा व नमक रखा गया और साथ ही एक बैनर भी टांगा गया. बैनर पर अडानी, अम्बानी व बाबा रामदेव की वस्तुओं को नहीं खरीदने की प्रतिज्ञा लेने जैसी बात लिखी गयी. यहाँ बैठे शख्स लोगो को कसम लेने के लिए कहते दिख रहे हैं.
क्या है लूण- लोटा प्रथा?
बता दें की हिमाचल प्रदेश में देवी देवताओ का डर दिखाकर लोटे में नमक डालकर कसम खिलाने की प्रथा रही है आम भाषा में इसे लूण- लोटा प्रथा भी कहा जाता है. वहीँ अगर दूसरे नज़रिये से देखा जाए तो बीजेपी हमेशा से ही सवालो के घेरे में रही है चाहे वो जीडीपी गिरने को लेकर हो या अपने वादों को लेकर या सरकारी कम्पनियो को निजी हाथो में सौपना। ट्वीटर पर आये दिन युवा अडानी,अम्बानी को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ निशाना साधते दिखते हैं. और इन्ही कुछ मुद्दों का फायदा उठा कर विपक्षी दल भी बीजेपी के खिलाफ किसानो को भड़काने में सफल रहा है. जिसे आम भाषा में वोट बैंक की राजनीती कहते है.