पाकिस्तान में तोड़े गए हिन्दू मंदिर को दो हफ़्तों में बनाए सरकार- पाक सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली : 30 दिसंबर को सैकड़ों कंट्टरपंथियों ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में मंदिर में तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी थी। इन लोगों ने मंदिर को नुकसान पहुंचाने के साथ ही परिसर में बनी संत की समाधि का अपमान किया था। टेरी गांव में तो हिंदुओं की संख्या बहुत कम है लेकिन आसपास के गांवों के हिंदू बड़ी संख्या में इस प्राचीन मंदिर में आते थे।

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पाकिस्तान में मंदिर तोड़ने और आग लगाने की घटना में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संबधित विभाग को आदेश दिया है कि वह दो सप्ताह में मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू करे। चीफ जस्टिस ने कहा है कि मंदिर निर्माण में जो भी खर्च हो, उसकी वसूर्ली हिंसा करने वाले लोगों से ही की जाए।

पहले भी पहुँचाया है नुकसान-

1997 में भी इस मंदिर पर कट्टरपंथियों ने हमला किया था और उसे नुकसान पहुंचाया था। लेकिन बाद में इसका पुनर्निर्माण कराया गया। अब जबकि मंदिर को विस्तार देने की योजना पर कार्य चल रहा था, तब इलाके के कट्टरपंथी मुस्लिम भड़क उठे और उन्होंने एकजुट होकर मंदिर पर हमला बोल दिया। हमले पर पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों और हिंदू नेताओं ने रोष जताया है। इस मामले में गिरफ्तार लोगों की संख्या 100 लोगों से अधिक 55 हो गई है। पकड़े गए ज्यादातर लोग देवबंदी सुन्नी मुस्लिमों की जमीयत उलेमा-ए–इस्लाम पार्टी के समर्थक हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर हुई आलोचना-

इस घटना में अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण कार्रवाई शुरू हो सकी। बाद में सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया और सात पुलिसकर्मी निलंबित हुए थे। वायरल हुए वीडियो से स्पष्ट है कि हिंसक भीड़ ने मंदिर की छत और दीवारें तक तोड़ दी थीं। हिंदू अल्पसंख्यकों के पूजाघर में हुई इस गंभीर वारदात की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई। भारत सरकार ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

पाक सुप्रीम कोर्ट लिया संज्ञान-

अब सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार से देशभर के सभी चालू और बंद दोनों ही मंदिरों की पूरी जानकारी तलब की है। चीफ जस्टिस ने कहा कि मंदिर को दो सप्ताह में दोबारा बनाना शुरू किया जाए और दोषियों से ही मंदिर बनाने में आने वाला खर्च वसूल किया जाए। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में लगभग 75 लाख हिंदू रहते हैं, अनाधिकारिक रूप से इनकी संख्या 90 लाख है।

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