दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन में भागीदारी कर रहे सिख संत राम सिंह ने कल आत्महत्या कर ली थी. एक तरफ जहां बाबा के इस तरह खुद को गोली मार लेने से किसान रोष में हैं वहीं दूसरी तरफ संत राम सिंह सुसाइड केस में पुलिस के हाथ अभी तक कुछ भी नहीं लग पाया है.
पुलिस की माने तो संत ने जिस पिस्टल से खुदकुशी की थी वो भी अबतक बरामद नहीं कर पाई है. वहीं उन्होंने जिस गाड़ी में आत्महत्या की थी उसे उनके समर्थक खुद ड्राइव कर करनाल ले गए और वह गा़ड़ी अब भी उनके समर्थकों के पास ही है. इसके अवाला जिस स्पॉट पर संत ने खुद को गोली मारी थी उसे लेकर भी अभी तक कुंडली पुलिस असमंजस में है.
घटनास्थल को आइडेंटिफाई नही किया जा सका है-
केस एसएचओ का कहना है पुलिस को घटना की खबर तब हुई जब बॉडी को पानीपत (Panipath) के अस्पताल (Hospital) लेकर जाया जा चुका था. इसलिए अब तक घटनास्थल को भी आइडेंटिफाई नही किया जा सका है सिर्फ इतना पता लगा है कि जिस वक्त उन्होंने खुद को गोली मारी उस वक़्त वो अकेले थे.
किसान आंदोलन को लेकर काफी दुखी थे-
बता दें कि सिख संत राम सिंह किसान समस्याओं और मौजूदा किसान आंदोलन को लेकर काफी दुखी थे. राम सिंह ने खुद को गोली मारने से पहले कथित सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसपर उन्होंने लिखा, “किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है. सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है जो कि जुल्म है जो जुल्म करता है वह पापी है जुल्म सहना भी पाप है किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है. किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है यह जुल्म के खिलाफ आवाज है यह किसानों के हक के लिए आवाज है वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह.”

कौन थे संत बाबा रामसिंह-
संत बाबा रामसिंह सिंगड़ा वाले बाबा जी के नाम से प्रसिद्ध थे. उनका डेरा करनाल जिले में निसंग के पास सिंगड़ा गांव में है. उन्हें संत बाबा राम सिंह ‘सिंगड़ा वाले’ के नाम से ही जाना जाता था. संत रामसिंह दुनियाभर में प्रवचन करने के लिए जाते थे. वह नानकसर संप्रदाय से जुड़े हुए थे.