नई दिल्ली : पीएम किसान योजना में भी सेंध लग गई है। किसानों ने फर्जी किसान ड़ोक्युमेन्ट बनवा कर किसान योजना का लाभ लेना शुरू कर दिया है। राज्य सरकारों ने ऐसे 33 लाख लोगों की पहचान कर ली है। जो मापदंड के अनुसार इसका लाभ पाने के अयोग्य पाए गए हैं। सरकारी खजाने को ढाई हजार करोड़ रूपये की चपत लगा रहे हैं। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से ऐसे लोगों से तत्काल वसूली शुरु करने को कह दिया है।
रूपयों की वसूली
कृषि मंत्रालय के आनुसार तमिलनाडु में 158 करोड़ रूपय की वसूली ओर लोगों की संख्या 6.96 लाख है। कर्नाटक में 2.04 लाख फर्जी पंजीकरण की पहचान की गई है। तमिलनाडू में संख्या 6.96 लाख से अधिक है और इनसे 158.57 करोड की वसूली की हैा गुजरात में संख्या सात हजार से अधिक है। हरियाण में 35 हजार और पंजाब मे 4.70 लाख लोगोंअपात्र पाए गये है। उप्र में फर्जी लाभार्थियों की संख्या 1.78 लाख है। जिन से 171.5 करोड़ वसूले जाने है। और राजस्थान में यह संख्या 1.32 लाख के पास है। लगभग सभी 35 राज्यों व केद्रं शासित प्रदेशों में ऐसी गड़बड़ी पाई गई है। हरियाण, उत्तराखंड़ , मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार, झारखंड़ व महाराष्ट समेत कुल 18 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में वसूली प्रक्रिया शुरू हो गई है। बचे हुए बाकी राज्यों में भी यह जल्द शुरू होने जा रही है।

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अफसरों व कर्मियों पर कार्रवाई
पी एम – किसान योजना से हर साल दो -दो हजार रूपये की तीन किस्त , कुल छह हजार रूपये की मदद लोगों को दी जाती है। इस योजना की सत्यापन प्रक्रिया की जांच के दौरान 3291152 किसानों को अपात्र लाभार्थी पाया गया है। अधिकारी के मुताबिक राज्य सरकारें किसानों की पात्रता की सत्यापन प्रकिया में लगे अफसरों व कर्मियों पर कार्रवाई भी कर सकती है, जिनहोने इस तरह की गड़बड़ी की है।
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