इस महिला ने फूट-फूट कर रोने में की मिसाल कायम….

नई दिल्ली : उत्तर अमेरिका में स्थित देश मैक्सिको में हर साल एक नवंबर को मृत दिवस (द डे ऑफ द डेड) मनाया जाता है। इस दिन यहां लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर जाते हैं और उनके लिए दुआएं मांगत हैं। साथ ही पूर्वजों को याद कर रोते हैं। यह एक तरह से उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल कोरोना की वजह से हालात बिल्कुल अलग हैं। सारे कब्रिस्तान भी बंद हैं और सार्वजनिक रूप से लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है।

ऐसे में लोग कब्रिस्तान में जाकर रो नहीं पाए, अब सैन जुआन डेल रियो शहर ने हर साल की रोने वाली परंपरा को बरकरार रखा है। हालांकि इस बार वर्चुअल आयोजन किया गया। इसके लिए लोगों को दो दो मिनट का वीडियो ईमेल के जरिए भेजना था, ईमेल की संख्या पर गौर करें तो इस बार दोगुनी एंट्रीज हुईं।

दरअसल सार्वजनिक रूप से रोना यह उस प्राचीन परंपरा का सम्मान है जिसमें किसी की मौत पर रोने के लिए किराए पर महिलाएं बुलाई जाती थीं। इस आयोजन में पहला अवॉर्ड कैलिफोर्निया की प्रिंसेसा कैटलीना चावेज को मिला। चावेज पेशे से एक अभिनेत्री हैं। उन्होंने कहा कि ‘मैं कभी रोई नहीं लेकिन इस साल बहुत रोना पड़ा। कोरोना ने मुझे रोने पर मजबूर कर दिया।’ वीडियो में चावेज एक अनजान कब्र के पास बैठी हैं।

दूसरे स्थान पर 58 वर्षीय सिल्वेरिया बाल्डेरास रुबियो रहीं। उन्होंने कहा कि ‘पहले केवल मैंने रोती हुई महिलाओं को देखा था। उन्हीं की तरह मैं रोई और जीत गई।’ सबसे सामयिक वीडियो ब्रेंडा अनाकेरेन का रहा। 31 वर्षीय ब्रेंडा ने साल 2020 पर रोने का वीडियो बनाया। उन्होंने कहा कि ‘इस साल की मुश्किल परिस्थितियों ने मुझे रोने पर मजबूर कर दिया।’

वहीं टूरिज्म ब्यूरो के प्रमुख एजुअर्डो गुइलेन ने बताया कि ‘मैक्सिको में मौत पर हंसने की भी परंपरा है। इससे यह संदेश दिया जाता है कि यह समस्याओं का सामना करने का तरीका है।’ वहीं कई महिलाओं ने ऐसे मजेदार वीडियो भी भेजे कि जज भी हंस पड़े। एक महिला ने घर में फूलों का गुलदस्ता रखकर रोने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि अगली बार इस प्रतियोगिता में पुरुषों को भी शामिल किया जाएगा।

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