नई दिल्ली: विश्व भर में कोरोना की मार ऐसी पड़ी है की सालों की बनाई अर्थव्यवस्था यूं ही ढह गयी. भारत के अर्थव्यवस्था की बात करें तो स्थिति इतनी खराब हुई की जीडीपी. 23.9 प्रतिशत गिर गयी. हम बात कर रहे हैं राजधानी दिल्ली की तो यहां भी काफी खासा असर देखने को मिला।
दिल्ली में लॉकडाउन के समय बाज़ारों में सप्लाई एकदम से बंद हो गयी थी. लेकिन वर्तमान में सप्लाई चेन काफी खुल गयी है. ‘दिल्ली चांदी वर्क असोसिएशन’ के अध्यक्ष ‘संजय मित्तल’ बताते हैं की अब जब बाजार वापस से सड़क पर आने लगी है तो जरूरत है डिमांड पैदा करने की, और डिमांड पैदा तब होगी जब कारोबारी खरीदारों और और आम लोगों के जेब में भी पैसा होगा।
मित्तल आगे सुझाव देते हैं की सरकार को टैक्स, ड्यूटी, बिजली, पानी के खर्चों में कमी की राह बनाने की जरूरत है. उन्हें लोन की ईएमआई में बिजनेस क्लास और आम नागरिकों को भी राहत दिलाना होगा।
आत्मनिर्भर भारत का जिक्र करते हुए बोलते हैं की आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भी जरूरी है की कारोबारी क्षेत्र की लागत कम हो.
ट्रेंडिंग और मैन्युफैक्चरिंग से भी जुड़े मित्तल कहते हैं की कृषि क्षेत्र और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी काम बढ़ रहा है. इसके मायने की सप्लाई चेन काफी खुल गयी है. लेकिन उत्पादित और निर्मित माल बाजार और आम लोगों को बिच तभी खपेगा, जब क्रय क्षमता हो. बाज़ारों में बहुत कम ग्राहक हैं और बड़ी मंदी है. इस हालत से निपटने के लिए राज्य तथा केंद्र सरकार को कदम उठाने चाहिए
संजय मित्तल सामाज सेवी हैं-
आपको बता दें संजय मित्तल व्यापारी नेता होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं समय-समय पर समाज कल्याण के लिए कार्य करते रहते हैं, कोरोना के समय भी जरूरतमंदों की सहायता करते रहे हैं. सर्दी में कंबल वितरण या फिर गरीबों भूखों को खाना खिलाना ऐसे कार्य करते रहे हैं.
