नई दिल्ली: केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को बड़ा फैसला लेते हुए ऋण संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक को डेवलपमेंट बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ विलय को मंजूरी दे दी. केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अब जमाकर्ताओं पर बैंक से अपने पैसे निकालने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी. जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि वे मैनेजमेंट के उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें जिसके चलते बैंक डूबने के कगार पर पहुंचा ।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी दी. गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के DBS बैंक में विलय के आदेश दिए थे. ATC Telecom Infra में 2480 करोड़ के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है. टाटा समूह की कंपनी एटीसी के 12 फीसदी शेयर एटीसी पैसिफिक एशिया ने लिये हैं ।

आरबीआई के प्लान के मुताबिक सिंगापुर सरकार समर्थित डीबीएस लक्ष्मी विलास बैंक में कम से कम 2,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. डीबीएस बैंक पहला ग्लोबल बैंक है, जिसने खुद पहल करके इंडियन मार्केट में अपनी हिस्सेदारी कायम करने के लिए सब्सिडियरी बनाने और लक्ष्मी विलास बैंक में पूंजी निवेश का फैसला किया है. अपनी इस पहल के तहत लक्ष्मी विलास बैंक की 560 शाखाओं के जरिये डीबीएस बैंक की पहुंच इसके होम, पर्सनल लोन और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री लोन ग्राहकों तक हो जाएगी।
बेलआउट पैकेज के तहत लक्ष्मी विलास बैंक के डिपोजिटर और बॉन्ड होल्डर्स को उनका पूरा पैसा मिल जाएगा. हालांकि, शेयरधारकों को नुकसान होगा. इससे पहले, डीबीएस बैंक ने कहा था कि प्रस्तावित विलय से इसे अपना कस्टमर बेस और नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी. हालांकि विलय योजना का ऐलान करने से पहले आरबीआई ने पैसा निकालने पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया था. जिस पर अब पाबंदी खत्म कर दी गई हैं. यानी, ग्राहक अब बैंक में जमा 25 हजार रुपये ज्यादा अपना पैसा निकाल सकते हैं।