नई दिल्ली : भारत के विभिन्न राज्यों में ब्लैक फंगस तेजी से पांव पसार रहा है। यही वजह है कि देश के कुछ राज्यों ने इसको महामारी घोषित कर दिया है। इसको लेकर अस्पतालों में अलग से वार्ड भी बनाए गए हैं। इसके लगातार बढ़ते मामले और इसके इलाज और लक्षण को लेकर कई सारी जानकारियां सामने आई हैं। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर काफी कुछ चल रहा है।

ऐसे में आपको बता दें कि विशेषज्ञों की निगाह में नाक का बंद होना और सांस लेने में अधिक परिश्रम करना और दांतों का ढीला होना जैसे लक्षण इसके शुरुआती संकेत होते हैं। ऐसे में इन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है। समय रहते इलाज से ये बीमारी ठीक हो सकती है।
इन्हें है अधिक खतरा
ब्लैक फंगस से सबसे अधिक खतरा उन लोगों को है जो पहले से कैंसर रोगी हैं या जिन्हें कोई अंग ट्रांसप्लांट किया गया है। इसके अलावा शुगर और डायबिटिक मरीजों को भी इसके होने का खतरा है। इसके साथ ही कोरोना के शिकार वो मरीज जिन्हें आक्सीजन लगी है वो भी इसकी चपेट में आसानी से आ सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक आक्सीजन लगने के बाद मास्क के चारों तरफ फंगस जमा होने लगती है। ये सांस के साथ शरीर के अंदर आजी है। पहले नाक फिर मुंह, आंख और मसतिष्क में पहुंच जाती है। मस्तिष्क में पहुंचने के बाद मरीज के जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि समय रहते इसका पता चल जाए तो इसका इलाज हो सकता है।
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मरीज के शरीर में जल्दी फ़ैल रहा संक्रमण
कैंसर की तुलना में इसका प्रभाव और मरीज के शरीर में संक्रमण तेजी से फैलता है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कैंसर की जहां तीन स्टेज होती हैं वहीं इसकी चार स्टेज होती हैं लेकिन इन चार स्टेजों में महज दो सप्ताह का ही समय लगता है। वहीं कैंसर के रोगी को अंतिम स्टेज पर पहुंचने में तीन माह से भी अधिक समय तक लग जाता है। ब्लैक फंगस के शिकार मरीज के आंख में यदि ये होती है तो उसकी आंख तक निकालनी पड़ सकती है।
आपको बता दें कि ये शरीर के अंगों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाकर गला देती है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मरीज जिन्हें आक्सीजन लगी है उसको कुछ समय के बाद साफ करना बेहद जरूरी है।