नई दिल्ली : सोने की परत वाले आभूषण गिरवी रखकर बैंक से 8.14 लाख रुपये का लोन लेने वाले बदमाशों ने ये जेवर हापुड़ में बनवाए थे। इसके बाद वहीं इन पर फर्जी हॉलमार्क लगवा ली थी। इस जानकारी के बाद गिरोह में शामिल अन्य जालसाजों की तलाश में पुलिस टीम हापुड़ भेजने की तैयारी है।

लगाया लाखों का चूना-
सुजातगंज निवासी मो. सिराजुद्दीन, अपने साथी साउथ दिल्ली के ओखला निवासी रहीसुद्दीन मलिक के साथ 22 दिसंबर को आइसीआइसीआइ बिरहाना रोड बैंक पहुंचा और गोल्ड लोन लेने के लिए आवेदन कर 54.94 ग्राम सोने के आभूषण दिए। जांच के बाद बैंक ने 2.02 लाख रुपये का लोन मो. सिराजुद्दीन के नाम जारी किया। 28 दिसंबर को दोनों फिर बैंक पहुंचे और नए गोल्ड लोन के लिए आवेदन कर 181.61 ग्राम वजन के आभूषण फिर दिए। इस बार बैंक ने सिराजुद्दीन के नाम से 6.12 लाख रुपये लोन दिया। चार जनवरी को जब बैंक ने गोल्ड लोन का ऑडिट कराया तो पता लगा कि उक्त सोने के आभूषण फर्जी थे। पीतल के जेवरों पर सोने की मोटी परत चढ़ाकर उन्हें तैयार किया गया था। इसके बाद चार जनवरी को आरोपित तीसरी बार बैंक पहुंचे तो कर्मचारियों ने उन्हें पुलिस के सिपुर्द कर दिया था।
पुलिस ने आरोपियों को भेजा जेल-
पुलिस ने बैंक प्रबंधक अनुराग तिवारी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर आरोपितों को जेल भेजा। जांच में पता लगा कि आरोपितों ने दिल्ली की भी एक बैंक से तीन बार में करीब 16 लाख रुपये और हरियाणा से करीब 20 लाख रुपये गोल्ड लोन हड़पा था। पुलिस ने आरोपितों के फोन की कॉल डिटेल निकलवाई तो उनके संबंध हापुड़ के गैंग से होने की जानकारी मिली। ये गैैंग सोने की परत वाले जेवर बनाने के साथ ही उन पर फर्जी हॉलमार्क लगवाता है, जिससे बैंक के वैल्युअर भी धोखा खा जाते हैं।
ऊपर की परत होती है सोने की-
नाम न छापने की शर्त पर एक सराफा व्यापारी ने बताया कि हापुड़ में कम सोने के आभूषण आर्डर पर तैयार कराए जाते हैं। इस तरह के आभूषणों में 30 से 40 फीसद तक सोना होता है। आभूषण बनाते समय ऊपर की मोटी परत सोने की होती है, जबकि आभूषण के अंदर वाली परत पीतल या तांबे की होती है। कसौटी पर जांच करने पर भी असली व नकली होने का पता आसानी से नहीं चल पाता है।