नई दिल्ली: विकास दुबे मामले में एसआईटी जांच में कुछ पुलिस अफसराें की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी. जिसके बाद जांच में जिन पुलिस अफसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी उनकी जांच एडीजी और आईजी से कराई गई है. जांच हाेने के बाद जांच रिपोर्ट और संस्तुति शासन को साैंप दी गई है. जांच के दायरे में पूर्व डीआईजी समेत चार राजपत्रित अधिकारी शामिल हैं.
क्या है बिकरू कांड
2 जुलाई की रात विकास दुबे को गिरफ्तार करने बिकरू गांव गई पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी. पुलिस वालों पर यह फायरिंग गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने की थी. इस घटना में तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा समते 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि 6 अन्य चोटिल हो गए थे. घटना के बाद विकास दुबे एक हफ्ते तक फरार रहा. उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था. वहां से वापस कानपुर लाए जाने के दौरान रास्ते में विकास दुबे और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई. गैंगस्टर इस मुठभेड़ में पुलिस की गोली से ढेर हो गया था.

पूर्व डीआईजी समेत 4 लोग शामिल
विकास दूबे कांड के बाद पूरे मामले की जांच के लिए शासन की तरफ से एसआईटी जांच बैठाई गई थी. एसआईटी ने जब अपनी रिपोर्ट शासन काे भेजी तो उसमें राजपत्रित अधिकारियों से मिलीभगत होने के आरोप भी सामने आए और अधिकारियों के कुख्यात विकास दुबे से साठगांठ को लेकर कई तरह के तथ्य भी सामने आए. रिपोर्ट में अधिकारियों के कार्यकाल का ब्योरे के अलावा विकास और जय बाजपेई के साथ साठगांठ और असलहा या पासपोर्ट की रिपोर्ट लगाने में कहां लापरवाही की गई. कांड में पूर्व डीआईजी अनंत देव, एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह, डीएसपी आरके चतुर्वेदी और वर्तमान सीओ एलआईयू सूक्ष्म प्रकाश का नाम शामिल था. शासन दवा्रा एक्शन लेने के बाद पूर्व डीआईजी को पहले ही निलम्बित कर दिया गया था।
एडीजी जोन जय नारायण सिंह ने बताया कि सभी अधिकारियों की जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। यह राजपत्रित अधिकारी हैं। बता दें की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई पर फैसला शासन करेगा कि उन्हें क्या दंड दिया जाएगा।