नई दिल्ली : असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने हैदराबाद नगर निगम चुनाव में पिछले बार की तुलना में कम प्रत्याशी उतारे हैं। इस बार के चुनाव एआईएमआईएम ने 51 प्रत्याशी उतारे हैं, जिनमें से पांच टिकट हिन्दू उम्मीदवार को दिए गए हैं, तो वही नगर निगम चुनाव को भाजपा ने लोकसभा चुनाव का रूप दे दिया है, जिसमें उसके बड़े नेता चुनाव प्रचार में जुटे हैं। भाजपा की कोशिश चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को पछाड़ने से कहीं ज्यादा राष्ट्रीय फलक पर लगातार आगे बढ़ रहे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रमुख असद्दुद्दीन ओवैसी से बड़ी रेखा खींचने की है।

भाजपा के लिए जीएचएमसी का चुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं है, यह उसके लिए सैद्धांतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। भाजपा हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखना चाहती है। ऐसी स्थिति में हैदराबाद का संदेश देश भर में गौर से सुना जाएगा। दूसरी ओर, ओवैसी को भाजपा की बी टीम बताने वालों को भी पार्टी नेताओं के आक्रामक बयानों ने साफ संदेश दे दिया है। हिंदुत्व से जुड़े संगठनों के लिए हैदराबाद महज एक शहर नहीं है बल्कि वे उसे मुस्लिमों के अधिकार वाली एक सभ्यता के रूप में देखते हैं, जो मराठों से ब्रिटिश शासन तक अस्तित्व बचाने में कामयाब रही।

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में 24 विधानसभा सीटे हैं। तेलंगाना की कुल विधानसभा सीटों का यह पांचवां हिस्सा है। वहीं परंपरागत रूप से भाजपा सिकंदराबाद लोकसभा सीट पर काफी मजबूत है। पिछले तीस सालों में पांच बार भाजपा ने यहां जीत हासिल की है। ऐसे में भाजपा की कोशिश अपनी ताकत को और बढ़ाने की है। हैदराबाद में तेलुगु देशम और कांग्रेस की गिरावट ने एक रिक्त स्थान छोड़ा है, जिसे भरने के लिए भाजपा बेताब है। अब उच्च सदन में भाजपा को बिल पास कराने के लिए टीआरएस के सहारे की जरूरत नहीं है। ऐसे में अपना दायरा बढ़ाने के लिए भाजपा तेलंगाना पर दांव खेल रही है।