नई दिल्ली। प्रतिरोधक योगता की बात में गौतमबुद्धनगर के लोग काफी मजबूत हैं। यह बात सीरो सर्वे में सामने आई है। आपको बता दे तीन चरणों में हुए सीरो सर्वे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीन जिलों से लोगों के रक्त के नमूने लिए गए थे। इससे यह पता लगा कि गौतमबुद्ध नगर के लोगों में ज्यादातर एंटीबाडी विकसित हुई थी। इससे साफ़ हुआ कि ये लोग कोरोना की जद में आने के बाद अपनी मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के बूते कोरोना को हराकर खुद ही स्वस्थ हो गए। सीरो सर्वे मई से शुरू होकर दिसंबर तक तीन चरण में चला था।

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सीरो सर्वे के तहत
बतया गया की भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के सुचना पर सेक्टर-39 के राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान ने गौतमबुद्ध नगर, सहारनपुर और अमरोहा में 400-400 लोगों पर सर्वे किया। सीरो सर्वे के तहत हर जिले के 10 क्लस्टर क्षेत्र के हर घर से एक-एक व्यक्ति का नमूना लिया गया। तीन चरणों में 400-400 लोग शामिल हुए, जबकि तीसरे चरण में 100 स्वास्थ्यकर्मियों को भी सर्वे में शामिल किया गया। जिले के ग्रामीण इलाकों में मिलक लच्छी, सलेमपुर, रबूपुरा और शहरी क्षेत्र में दादरी, सेक्टर-82, सेक्टर-16, सेक्टर-15 और सेक्टर-88 में लोगों के रक्त के नमूने जांच के लिए भेजे गए।
बता दे दूसरे व पहले चरण में भी गौतमबुद्धनगर ही अव्वल रहा है। प्रथम चरण में सामुदायिक संक्रमण के फैलाव का पता लगाने के लिए 10 लाख की आबादी में 10 से अधिक लोगों में एंटीबाडी विकसित मिलने का नियम था। तीसरे चरण का सर्वे नवंबर से दिसंबर तक किया गया था।

सीरो सर्वे के चरणें-
तीसरे चरण के सीरो सर्वे में आमजन की रिपोर्ट
जिला – लोग – एंटीबाडी मिली – फीसद
गौतमबुद्ध नगर-300- 81- 27
अमरोहा- 300- 60- 20
सहारनपुर- 300- 39- 13
तीसरे चरण के सीरो सर्वे में स्वास्थ्यकर्मियों की रिपोर्ट
जिला – स्वास्थ्यकर्मी – एंटीबाडी मिली – फीसद
गौतमबुद्ध नगर- 100- 28- 28
अमरोहा- 100- 26- 26
सहारनपुर- 100- 13-13
दूसरे चरण के सीरो सर्वे की रिपोर्ट
जिला – लोग – एंटीबाडी मिली – फीसद
गौतमबुद्ध नगर- 400- 50- 12.5
अमरोहा- 400- 30- 7.5
सहारनपुर- 400- 18- 4.5

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सीरो सर्वे क्या है?
सीरो सर्वे में चुनिदा इलाकों में जाकर रक्त नमूने लिए जाते हैं। इनकी जांच में पता लगाया जाता है कि जिससे नमूना लिया गया, उसमे मजबूत प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है या नहीं। यदि कोई व्यक्ति कोरोना की जद में आता है, लेकिन उसके अंदर कोई लक्षण नहीं उभरता, तो ऐसे लोगों के शरीर में 5-7 दिन में स्वत: एंटीबाडी बननी शुरू हो जाती है। ये वायरस को शरीर में पनपने नहीं देते। सर्वे में यही पता लगाया गया कि किस क्लस्टर में कितने लोगों को कोरोना हुआ, लेकिन वो खुद ठीक हो गए। इससे वायरस के प्रसार और उसकी क्षमता का भी पता चला।