नई दिल्ली:- जम्मू-कश्मीर के कठुआ की रहने वाली पूजा देवी राज्य की पहली महिला बस ड्राइवर बन कर नया रिकॉड बना दिया हैं. पूजा जम्मू-कठुआ रोड (रूट) पर यात्री बस चलाती हैं. पांच साल पहले शौखियां तौर पर ड्राइविंग सीखती थी. पूजा का सपना था कि वो किसी दिन बड़ी गाड़ी को चलाएं, बुधवार को उनका यह सपना पूरा हो गया. बसोहली के सांदर गांव निवासी पूजा देवी प्रदेश की पहली ऐसी महिला हैं, जो व्यावसायिक चालक के तौर पर बस चलाने लगी हैं. बता दें जम्मू -कश्मीर में उनसे पहले किसी महिला ने आज तक यात्री बस नहीं चलाई थी, मूल रूप से एक ड्राइविंग ट्रेनर पूजा देवी ने पेशेवर ड्राइवर बनने के अपने जुनून के कारण इस पेशे को अपनाया.
यह पेशा मुझे सूट करता है-
पूजा ने कहा, ”मेरे परिवार ने शुरू में मेरा साथ नहीं दिया, लेकिन कोई अन्य नौकरी करने के लिए मैं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी, यह पेशा मुझे सूट करता है. मैं कमर्शियल वाहन चलाना सिखाती थी, टैक्सी भी चला चुकी हूं. जम्मू में ट्रक भी चला चुकी हूं, मेरा सपना आखिरकार सच हो गया है. पूजा अपने छोटे बेटे को बस में ही ड्राइवर सीट के पीछे बैठाकर बस चला रही थीं, उनकी बेटी दसवीं कक्षा की छात्रा है.

कठुआ जिले के सुदूर संधार-बसोहली गांव में पली-बढ़ी 30 साल की पूजा ने कहा कि उसे ड्राइविंग का शौक टीनएजर से था और वो तब से कार चलाती हैं. उसके मन में भारी वाहन चलाने की इच्छा शुरुआत से ही थी और वो सपना अब जाकर पूरा हुआ. महिला ड्राइवर पूजा को हर पड़ाव पर कठुआ से जम्मू वापसी जाने के क्रम में लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही हैं. और लोग उनके हौसले की तारीफ कर रहे हैं. बस ड्राइवर बनने के फैसले पर उन्हें अपने ही परिवार में विरोध झेलना पड़ा.
समाज में महिलाओं के प्रति धारणा बदलना चाहती हैं-
पूजा ने कहा, परिवार के सदस्य और ससुराल वाले पेशे के खिलाफ थे, पूजा देवी ने बताया कि उसने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के विरोध के बावजूद पेशेवर ड्राइवर बनने के अपने सपने को पूरा किया. पूजा ने प्रोफेशनल ड्राइवर बनने के फैसले को लेकर कहा कि आज महिलाएं फाइटर जेट्स उड़ा रही हैं, मैं धारणा को तोड़ना चाहती थी कि केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिला भी यात्री बस चला सकती हैं. मैं उन सभी महिलाओं को संदेश देना चाहती थी, जो चुनौतीपूर्ण नौकरियों में अपना हाथ आजमाना चाहती हैं और परिवार उन्हें अपने सपनों को पूरा नहीं करने देते हैं.
पूजा देवी ने पहली बार ये मौका मिलने को लेकर कहा जब जम्मू-कठुआ रोड बस यूनियन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने मेरा अनुरोध स्वीकार किया तो मैं वास्तव में आश्चर्यचकित थी. उन्होंने मुझे एक बस दी और मुझे प्रोत्साहित किया. वो पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मेरी ड्राइविंग स्किल पर भरोसा किया.
कमाने के लिए घर से बाहर आना पड़ा-
पूजा देवी ने कहा कि उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और यह उन कारणों में से एक था जिसकी वजह से उन्हें कमाने के लिए घर से बाहर आना पड़ा. उन्होंने बताया, ”मुझे जम्मू में एक प्रतिष्ठित ड्राइविंग संस्थान से प्रशिक्षक के रूप में प्रति माह 10000 रुपये मिल रहे थे. जब मुझे भारी वाहन ड्राइविंग लाइसेंस मिला, तो मैंने संघ से संपर्क किया और उन्होंने जम्मू-कठुआ सड़क पर चलने वाली एक यात्री बस को सौंपकर मेरे कौशल पर भरोसा किया.