नई दिल्लीः कृषि कानून विरोधी किसान संगठनों ने सर्कार के साथ वार्ता शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. लेकिन इस बीच किसान आंदोलन के बीच ही घमासान शुरू हो गया है. किसान संगठनों के अंदर शामिल 11 वाम संगठनों ने अंदरूनी बहस में सीधे-सीधे उन नौ नेताओं पर अंगुली उठाई है जिन्होंने वार्ता के लिए चिट्ठी लिखी है और पंजाब के 32 संगठनों की बैठक बुलाने का आह्वान किया है।
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वार्ता शुरू करने का आग्रह
दरअसल, शुरुआत से ही एक खेमा अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करता रहा है। इसमें मुख्यत: वाम संगठन ही थे। इनकी जिद के कारण ही कई बार वार्ता सफल होते-होते असफल होती रही है। कई कारणों से किसान संयुक्त मोर्चे के नेता आंदोलन से पहले ही दूरी बनाने लगे थे, अब आपसी खींचतान भारी पड़ने वाली है।
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दो दिन पहले संयुक्त मोर्चे की ओर से नौ नेताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वार्ता शुरू करने का आग्रह किया था। सरकार की ओर से कोई पहल होती इससे पहले ही दूसरा खेमा सक्रिय हो गया है।
वाट्सएप पर बहस
सूत्रों के अनुसार, वाट्सएप पर पंजाबी में बहस छिड़ गई है और उन नेताओं की मंशा पर सवाल खड़े किए गए हैं जिन्होंने चिट्ठी लिखी है। आपसी चर्चा में कहा गया है कि इन नौ नेताओं को किसने चिट्ठी लिखने का अधिकार दिया। पहले तो यह तय हुआ था कि 21 मई को आपस में बैठकर 26 मई के प्रदर्शन के तरीके पर विचार होगा, तब इन्होंने व्यस्तता की बात कहकर बैठक टाल दी और अब बिना सहमति चिट्ठी लिख दी।