नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान करीब 45 दिन से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं, किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. इस बीच, दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरना प्रदर्शन के मामले में याचिकाकर्ता ऋषभ शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया. अर्जी में कहा कि किसानों को सीमा से हटाया जाए. रास्ता जाम कर प्रदर्शन करना शाहीनबाग मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश के खिलाफ है।

उद्योग मंडल के मोटे-मोटे अनुमान के अनुसार किसानों के आंदोलन की वजह से क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला और परिवहन प्रभावित हुआ है, जिससे रोजाना 3,000-3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ‘‘पंजाब, हरियाणा, हिमाचाल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्थाओं का सामूहिक आकार करीब 18 लाख करोड़ रुपये है। किसानों के विरोध-प्रदर्शन, सड़क, टोल प्लाजा और रेल सेवाएं बंद होने से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं।’’ सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले अंतरिम आदेश में कहा था कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होना चाहिए, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मोबाइल टॉवर को नुकसान पहुंचाया है. ये सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. अर्जी पर सोमवार को शीर्ष न्यायालय में सुनवाई होनी है।

कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए आठवें दौर की बातचीत हुई. इस बैठक में भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. किसान संगठन कृषि कानूनों को वापस लेने से कम पर मानने को तैयार नहीं है किसानों ने मांगें नहीं मानने पर गणतंत्र दिवस पर राजधानी में ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया है. किसानों के साथ अगले दौर की बैठक 15 जनवरी को होगी।