कार्तिक पूर्णिमा के महापर्व का क्या संबंध है भगवान् शिव और विष्णु से? देव दीपावली क्यों मनाते हैं: पण्डित पुरूषोतम सती

dev deepawali
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दिल्ली: आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है, इसलिए यह गंगा स्नान का भी एक प्रमुख पर्व है और विशेष रूप से गढ़मुक्तेश्वर तीर्थ में स्नान का महत्व है।

देव दीपावली क्यों कहा जाता है?

देव दीपावली का पर्व भी भगवान शिव की त्रिपुरासुर विजय से जुड़ा है क्योंकि विजय के उपरांत देवताओं ने स्वर्ग में दीपमाला जलाकर इस विजय का स्वागत किया और प्रसन्नता प्रकट की। देव दीपावली का पर्व विशेष रूप से वाराणसी में मनाया जाता है क्योंकि काशी के घाटों पर देवताओं ने दीपमाला दी थी। कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली को लेकर पुराणों में कई कथाओं का वर्णन मिलता है।

कार्तिक पूर्णिमा का भगवान् विष्णु से संबंध-

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए तथा सृष्टि को बचाने के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था इसलिए इसका विशेष महत्व है। आज 30 नवंबर, सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा/ त्रिपुरी पूर्णिमा का महापर्व है। इस दिन भगवान सत्यनारायण स्वामी एवं भगवान शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। आज के दिन को देव दीपावली और तुलसी के प्राकट्योत्सव के रूप मे भी मनाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली में क्या करें-

1. तुलसी का पूजन करें क्योंकि माता तुलसी लक्ष्मी स्वरूपा हैं।
2. देवताओं के नाम का घी का दीपक जलाएं
3. पितरों के नाम का एक दीपक जलाएं
4. भगवान् शिव की पूजा करें।
5. श्री कृष्ण राधा जी की निष्काम भाव से पूजा करें। (गौ लोक में आज राधा रानी का विशेष उत्सव होता है)

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