दिल्ली:- क्या आप दफ्तर में घंटों तक कुर्सी पर बैठे रहते हैं? अगर हां, तो आज ही संभल जाइये, एक ही जगह पर अधिक समय तक बैठे रहना दिल, दिमाग और शरीर के लिए बेहद खतरनाक है. खासकर अगर आप कुर्सी पर एक बार में 3 घंटे से ज्यादा बैठते हैं तो आपकी हड्डियां जल्द ही जवाब दे सकती हैं. दुनिया में 54 देशों में हाल में हुए अध्ययन के आधार पर पाया गया कि दुनिया में 3.8 प्रतिशत लोगों की मौत का कारण 3 घंटे या उससे ज्यादा देर तक कुर्सी पर लगातार बैठे रहना ही है. टीवी देखने या कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करना या लेटे हुए उन पर काम करना आदि भी जोखिम पैदा कर सकता है लेकिन कुर्सी पर बैठना सबसे खतरनाक है क्योंकि आपकी कमर, गरदन और कलाइयों पर जबरदस्त जोर पड़ता है..

बीमारी से बचने के लिए ये अच्छी तरकीब है, लेकिन डेस्क जॉब में घंटों तक लगातार एक ही जगह बैठकर काम करना हमारी सेहत के लिए सही नहीं है. एक स्टडी के मुताबिक, लंबे समय तक डेस्क वर्क से मोटापा, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कॉलेस्ट्रोल और ऑस्टियेपरोसिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि कुछ खास बातों का ध्यान रखकर इन बीमारियों का जोखिम कम किया जा सकता है.
कम्फर्टेबल हो बैठने की जगह-
कुर्सी पर बैठकर घंटों तक लंबी शिफ्ट करना कमर और गर्दन के लिए अच्छा नहीं है. इसके लिए अगर आप स्टैंडिंग टेबल या ऊंची हाइट वाले किसी टेबल या काउंटर का इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा. इससे आपको शुरुआत में थोड़ी परेशानी जरूरी होगी. लेकिन तरीका आपको कई नॉन कॉम्यूनिकेबल डिसीज से बचा सकता है.

ब्रेक है जरूरी-
ऑफिस की तरह घर में भी काम के बीच में ब्रेक लेना कभी न भूलें. फोन अटेंड या पानी की बॉटल भरने के बहाने हर 45 मिनट में थोड़ा चलने की आदत बनाएं. इस ब्रेक में स्ट्रेचिंग, वॉकिंग और मार्चिंग जैसी कई आसान सी एक्सरसाइज भी कर सकते हैं.
सही हो बैठने का तरीका-
काम करते वक्त अपने सिटिंग पोश्चर पर भी ध्यान दें. कुर्सी पर बैठते वक्त रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए और कंधे पीछे की तरफ उठे होने चाहिए. साथ ही जमीन पर पंजा पूरा लगना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो पैरों के नीचे किसी छोटे स्टूल का सहारा भी ले सकते हैं. आपके कूल्हे, घुटने और टखने 90 डिग्री एंगल पर होने चाहिए.

दिल की सेहत का ख्याल-
8-9 घंटे की लंबी शिफ्ट करने के बाद हमारी फिजिकल एक्टिविटी शून्य हो जाती है, जिससे दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. रोजाना करीब एक घंटा लो इंटेंसिटी कार्डियोवस्क्युलर ट्रेनिंग करें. लिफ्ट की बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. आस-पास किसी काम से जाने के लिए वाहन की बजाए पैदल चलने की आदत डालें.
पर्याप्त नींद और पानी-
अपने स्लीपिंग पैटर्न का ध्यान रखना भी जरूरी है. रोजाना करीब 6-8 घंटे की पर्याप्त नींद लें. इसके अलावा बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पीएं. सर्दी के मौसम में वैसे भी डीहाइड्रेशन का खतरा काफी बढ़ जाता है. ये दोनों ही चीजें हमारी बॉडी की सही फंक्शनिंग के लिए बहुत जरूरी है.

फूड-
खाने में सिर्फ हेल्दी चीजें खाने की आदत डालें. अपनी डाइट में प्रोटीन, नैचुरल फैट और बॉडी को एनेर्जी देने वाले कार्बोहाइड्रेट की चीजों को शामिल करें. इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियां और फाइबर वाले फ्रूट भी रोजाना नियमित रूप से खाएं.

इन चीजों से करें परहेज-
हाई शुगर या हाई सोडियम वाली चीजें खाने से बचें. इस तरह की चीजें मोटापा, हाई कॉलेस्ट्रोल, डायबिटीज और कई तरह के मेटाबॉलिक डिसॉर्डर का कारण बन सकती हैं. डीप फ्राई या बहुत मसालेदार खाने से दूर रहें. साथ ही शराब, सिगरेट या बहुत ज्यादा कैफीन का इस्तेमाल करने से भी बचें.