नई दिल्ली : अदालत के आदेश पर स्पेशल सेल ने प्राचा के खिलाफ पहले फर्जीवाड़े की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया, फिर अदालत से वारंट हासिल करने के बाद छापेमारी की। इस दौरान प्राचा निजामुद्दीन कार्यालय पर मिले। यमुना विहार कार्यालय पर उनके कर्मचारी मिले। सेल ने प्राचा से कंप्यूटर की हार्ड डिस्क मांगी, जिससे फर्जी हलफनामा बनाया गया था और उस पर नोटरी के फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे। डीसीपी मनीषी चंद्रा के नेतृत्व में सेल ने छापेमारी की। दिल्ली दंगा मामले में अदालत में फर्जी हलफनामा दायर करने के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गुरुवार को दंगाइयों के वकील महमूद प्राचा के निजामुद्दीन व यमुना विहार स्थित कार्यालयों पर छापेमारी की।

प्राचा पर ये आरोप-
नोटरी की पत्नी ने अदालत को बताया कि उनके पति की मौत हो चुकी है। उन्होंने कोई हलफनामा नहीं बनाया है। इस पर कोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लेकर दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव को स्पेशल सेल अथवा क्राइम ब्रांच से जांच कराने को कहा था। जांच में हलफनामा फर्जी पाए जाने पर प्राचा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। प्राचा पर आरोप है कि उन्होंने हलफनामे में कहा था कि पुलिस ने एक दंगा पीड़ित को गलत बयान देने को कहा था। हलफनामा जिस नोटरी के नाम पर बनाया गया उनकी तीन साल पहले मौत हो चुकी है। उक्त नोटरी की पत्नी कड़कड़डूमा कोर्ट में वकील हैं। उनके पति को दिल्ली सरकार की तरफ से नोटरी का लाइसेंस मिला हुआ था। कोर्ट में बहस के दौरान इसकी पोल खुली थी।
छात्राओं ने लिए थे कई बड़े नाम-
येचुरी समेत कई पर लगे हैं आरोप 20 अगस्त को उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे की साजिश रचने के मामले में सेल ने पिंजड़ा तोड़ समूह की जिन छात्राओं के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, उन्होंने बयान में कहा था कि माकपा महासचिव सीताराम येचुरी व स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव समेत अर्थशास्त्री जयति घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व एक्टिविस्ट अपूर्वानंद, डाक्युमेंट्री फिल्म निर्माता राहुल रॉय, कांग्रेस के पूर्व विधायक मतीन अहमद, आप के विधायक अमानतुल्लाह खान व वकील महमूद प्राचा धरना स्थलों पर आकर भाषण देते थे। जाफराबाद दंगा के मामले में आरोपित बनाए गए जेएनयू की छात्रा देवांगना कलिता, नताशा नरवाल व जामिया मिल्लिया की गुलफिशा फातिमा उर्फ गुल ने इन नेताओं के नाम लिए थे।