नई दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस की और से राष्ट्रपति को सौंपे गए दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर पत्र पर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल कांग्रेस ने कृषि कानून के खिलाफ अभियान चलाकर दो करोड़ हस्ताक्षर कराने का दावा किया है, लेकिन बिहार कांग्रेस के पास ही इसके बारे में सही जानकारी नहीं है. और इसको लेकर प्रमुख नेताओं के बयान भी अलग-अलग हैैं।

हस्ताक्षरों का बंडल किसे सौंपा गया?
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता तक को ठीक से याद नहीं कि प्रदेश में अभियान कब से कब तक चला? या कितने हस्ताक्षर हुए,यह भी नहीं मालूम कि हस्ताक्षरों का बंडल लेकर दिल्ली कौन गया और किसे सौंपा गया।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का जवाब था कि, बिहार में कुछ समय पहले हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ किया गया था. मगर बीच में विधानसभा चुनाव आ गया, जिसकी वजह से अभियान की गति धीमी पड़ गई थी, और इससे ज्यादा उन्हें कुछ नहीं पता।
कांग्रेस नेताओं को कुछ याद नहीं-
उन्हें ये भी याद नहीं है कि, अभियान शुरू और खत्म होने की तारीख क्या थी, विस्तृत जानकारी के लिए प्रदेश अध्यक्ष ने प्रदेश प्रवक्ता से पूछने की अनुशंसा कर दी. कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा का जवाब इससे भी रोचक निकला. उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई अभियान नहीं चला है। रविवार को पार्टी का स्थापना दिवस है, इस दौरान किसानों के मसले पर भी चर्चा होगी और जरूरत पड़ी तो हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जाएगा।
लंबे समय से चल रहा था हस्ताक्षर अभियान-
बता दें कि कांग्रेस के मीडिया पैनल के सदस्य व विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा के अनुसार हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था. कुछ हस्ताक्षर भी जुटा लिए गए थे, लेकिन उन्हें पता ही नहीं कि हस्ताक्षर का बंडल लेकर दिल्ली कौन गया और कब गया. प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर से जब पूछा गया तो उन्होंने दावा किया कि हस्ताक्षर अभियान लंबे समय से चल रहा था परंतु तारीख या महीना याद नहीं।