नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर हो रही कार्रवाईयों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि किसानों से बदसलूकी नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि इसे लेकर किसानों में जागरूकता फैलाई जाए. बता दें कि पराली जलाने को यूपी में वायू प्रदूषण का मुख्य कारण माना जा रहा है यही कारण है कि खेतों में पराली जलाने पर पुलिस किसानों के ऊपर कार्रवाई कर रही है जिसकी जानकारी जब मुख्यमंत्री को हुई तो उन्होंने नाराजगी जाहिर कर किसानों के साथ दुर्व्यहार ने करने का निर्देश दिया है ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पराली ( फसल अपशिष्ट) जलाने से होने वाली क्षति के प्रति किसानों को जागरूक करें। किसी भी स्थिति में कहीं भी इस मुद्दे पर किसानों से बदसलूकी सहन नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली को लेकर पहले ही कई गाईडलाइन जारी की जा चुकी हैं। अब सूबे में अभियान चलाकर अधिकांश किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और नहीं जलाने से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी जाए। उन्हेंं बताएं कि पराली जलाना पर्यावरण के साथ आपकी जमीन की उर्वरा शक्ति के लिए भी ठीक नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल) ने देश में कहीं भी पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है. किसान ऐसा करने की जगह उन योजनाओं का लाभ उठाएं जिससे पराली को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है. सरकार ऐसे कृषि यंत्रों पर अनुदान भी दे रही है. उन्होंने कहा कि कई जगह किसानों ने इन कृषि यंत्रों के जरिए पराली को कमाई का जरिया बनाया है. बाकी किसान भी इनसे सीख ले सकते हैं. किसानों के ये सारी चीजें बताई जानी चाहिए. पराली के साथ फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं. यही नहीं, बाद में भूसे की भी किल्लत बढ़ जाती है ।