इस देश के सैकड़ों किलोमीटर नीचे छिपा है प्रशांत महासागर का भाग

china oceans and seas
china oceans and seas

नई दिल्ली : आज चीन जिस जगह है वहां करोड़ों साल पहले प्रशांत महासागर हुआ करता था. भूगर्भ और समुद्र विज्ञान के वैज्ञानिकों को चीन की जमीन के 644 किलोमीटर नीचे प्रशांत महासागर का अंश मिला है. यह चीन के नीचे सैकड़ों किलोमीटर तक फैला हुआ है. प्रशांत महासागर का ये अंश उस जगह पर फैला है जिसे मेंटल ट्रांसिजशन जोन कहते हैं.

मेंटल ट्रांसजिशन जोन यानी धरती के केंद्र और उसके ऊपर की सतहों के बीच एक पतली सी परत. प्रशांत महासागर का जो अंश चीन के नीचे मिला है वह आज की धरती के ऊपरी सतह यानी लीथोस्फियर जैसी ही है. इसमें धरती के क्रस्ट और मेंटल का मिश्रण है यानी धूल-मिट्टी और मजबूत पत्थरों का मिश्रण.

china oceans and seas
china oceans and seas

सतह पर है क्रस्ट और मेंटल का मिश्रण-

मेंटल ट्रांसजिशन जोन यानी धरती के केंद्र और उसके ऊपर की सतहों के बीच एक पतली सी परत. प्रशांत महासागर का जो अंश चीन के नीचे मिला है वह आज की धरती के ऊपरी सतह यानी लीथोस्फियर जैसी ही है. इसमें धरती के क्रस्ट और मेंटल का मिश्रण है यानी धूल-मिट्टी और मजबूत पत्थरों का मिश्रण.

लिथोस्फियर की परत कई टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी हैं. जिनके खिसकने या टकराने से धरती के अलग-अलग हिस्सों पर भूकंप आता है. इसी प्रक्रिया को जियोलॉजिकल सबडक्शन कहते हैं. यानी टेक्टोनिक प्लेट्स में खिंचाव, टकराव या पास आना और दूर जाना. इन्ही जियोलॉजिकल सबडक्शन के चलते प्रशांत महासागर की नीचे की पैसिफिक टेक्टोनिक प्लेट धीरे-धीरे करके नीचे चली गई.

हाल ही में किए गए एक अध्ययन में चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह घटना पहले से कहीं अधिक पृथ्वी की गहराई में होती आई है. इससे पहले वैज्ञानिकों ने करीब 200 KM की गहराई पर सीमाएं रेखांकित करने वाली परतें खोजी थीं. अब पृथ्वी की सतह के नीचे 410-660 किलोमीटर (254–410 मील) की गहराई पर सीमाओं की खोज करने वाली नई परतें रिकॉर्ड की हैं. इसे ही वैज्ञानिक प्रशांत महासागर का प्राचीन अंश बता रहे हैं.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *