नेपाल : नेपाल की राजनीति में कई दिनों से जारी उथल-पुथल के बीच सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी विभाजन की ओर बढ़ रही है। रविवार को प्रचंड धड़े ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं पुष्प कमल दहल प्रचंड और प्रधानमंत्री ओली के बीच हाल के दिनों में कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। ओली द्वारा संसद भंग किए जाने के बाद से दोनों नेता खुलकर आमने-सामने आ गए हैं।

ओली को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाया-
सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेतृत्व ने ओली से उनके हाल के कदमों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था। इसका जवाब देने में असफल रहने के बाद स्थायी समिति की बैठक में ओली को पार्टी से निकालने का फैसला किया गया। इससे पहले दिसंबर में प्रचंड धड़े ने ओली को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। उनकी जगह माधव कुमार नेपाल को पार्टी का दूसरा अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी के पहले अध्यक्ष प्रचंड खुद हैं।
इस वजह से निकाला पार्टी से-
15 जनवरी को प्रचंड धड़े ने ओली को पत्र लिखकर कहा कि उनकी गतिविधियां पार्टी की नीतियों के खिलाफ जा रही हैं। इसको लेकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था। लेकिन, ओली द्वारा किसी तरह का जवाब नहीं दिए जाने के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। ओली का विरोधी खेमा उन पर पार्टी संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है।
देश ने आम लोग कर रहे विरोध-
दोनों राजनीतिक दलों का विलय विगत 2018 में हुआ था। नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष ओली जबकि नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (माओ) के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड थे। नेपाल में गहराए सियासी संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आम लोग भी ओली की मुखालफत में उतर आए हैं। काठमांडू में आए दिन प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग संसद भंग करने के ओली के फैसले की निंदा कर रहे हैं। यही नहीं कई प्रदर्शनों में तो राजशाही को भी बहाल करने तक की मांग की गई है।