नई दिल्ली : नहाय-खाय के साथ बुधवार से चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ आरंभ हो जाएगा, छठ पर्व 18 नवंबर से 21 नवंबर तक चलेगा छठी मइया को अर्घ्य देने के लिए भक्त 20 नवंबर की शाम पानी में उतरेंगे. इसके बाद 21 नवंबर की सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाएगा. छठ पर्व की शुरुआत नहाए-खाए से 18 नवंबर से होगी, इसके बाद 19 नवंबर को खरना या लोहंडा मनाया जाएगा. इस दिन बेहद ही स्वादिष्ट गन्ने की रस की खीर बनाई जाती है. इसके बाद प्रसाद के भरी बांस की टोकरी जिसे दउरा या दौरा भी कहा जाता है ।

दीपावली, कालीपूजा के समापन होते ही छठी मइया की पारंपरिक गीत घर आंगन में गुंजने लगी है। गुरुवार पर्व के दूसरे दिन खरना होगा। वहीं शुक्रवार को अस्ताचल गामी सूर्य देव को पहला भक्तजन पहला अर्घ्य और शनिवार को उदयीमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे। इसके साथ ही चार दिवसीय महापर्व पूर्ण हो जाएगा। इसकी तैयारी अंतिम चरण में है। मंगलवार से ही पूजा बाजार छठ पर्व की पूजन सामग्रियों से पटा हुआ है। बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान के बाद बाजार से कद्दू खरीद कर ले जा रहे हैं। इस बार बाजार में कददू की कीमत 30 से 40 रूपये प्रति पीस बिक रहा है। सबौर, नाथनगर, तिलकामांझी, सिंकदरपुर बाजारों में पर्याप्त मात्रा में कददू उपलब्ध है ।

छठ पर्व की तारीख (Chhath puja 2020 Muhurat)
18 नवंबर 2020 बुधवार- नहाय-खाय
19 नवंबर 2020 बुधवार- खरना
20 नवंबर 2020 बुधवार- डूबते सूर्य का अर्घ्य
21 नवंबर 2020 बुधवार- उगते सूर्य का अर्घ्य

छठ पूजा का वैज्ञानिक महत्व
यह बात सभी को मालूम है कि सूरज की किरणों से शरीर को विटामिन डी मिलती है और उगते सूर्य की किरणों के फायदेमंद और कुछ भी नहीं. इसीलिए सदियों से सूर्य नमस्कार को बहुत लाभकारी बताया गया. वहीं, प्रिज्म के सिद्धांत के मुताबिक सुबह की सूरत की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और स्किन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं ।