फिल्म ‘छलांग’ के रिव्यू से पता चलता है, ये कहानी जज्बे और हौसलों की है

chhalaang movie review
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नई दिल्ली: “छलांग” इस नाम से ही पता चल रहा है की ये होसले की बुलंदी को लेकर है। इस कहानी में राजकुमार राव नुसरत भरुचा हमें और आपको एक सच्ची कहानी से मिलवा रहें है, जिंदगी में हिम्मत ना हारना हमें बहुत लोग सिखाते हैं। लेकिन जब तक आप खुद अपने हालात के लिए कुछ नहीं करते, दूसरों का कुछ भी बोलना बेकार ही रहता है। अपने हालात को बेहतर बनाने, आगे बढ़ने, जीवन में इज्जत पाने और मिसाल कायम करने के लिए आपको खुद ही अपने पैर आगे बढ़ाने होते हैं। और यही एक कदम आगे लेकर कुछ कर दिखाने की कहानी है राजकुमार राव और नुसरत भरुचा स्टारर छलांग।

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हरियाणा के मोहिंदर हुड्डा उर्फ मोन्टू जिनका रोल राजकुमार राव एक सरकारी स्कूल का पीटीआई यानी पीटी टीचर के रूप में निभा रहें है। मोन्टू की जिंदगी बड़े आराम और मौज में कट रही है। वो स्कूल के बच्चों को कभी कुछ सिखा देता है वरना ग्राउंड में बैठा बस टाइमपास ही करता है। मोन्टू ने अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा नहीं किया है, बस चीजों को अधूरा ही छोड़ा है क्योंकि यह करना आसान था। उसकी नौकरी भी उसे अपने पिता के कहने पर उसी स्कूल में मिली है, जिसमें वो बचपन में पढ़ा था।

मोन्टू की दोस्ती उसी के स्कूल टीचर वेंकट (सौरभ शुक्ला) से है। यह जिंदगी बहुत सही चल रही थी कि मोन्टू के स्कूल में आती हैं नीलिमी मैडम (नुसरत भरुचा), जो एक कंप्यूटर टीचर हैं। नीलिमी को पटाने के लिए मोन्टू कोशिशें करने लगता है। लेकिन अब प्रेमी कहानी शुरू हुई है तो विलेन का आना भी तो बनता है। तो एक दिन स्कूल में आते है नये पीटी टीचर मिस्टर सिंह (मोहम्मद जीशान अयूब)। मिस्टर सिंह के आने से मोन्टू की नौकरी, छोकरी और इज्जत सब छिनने की कगार पर है। ऐसे में उसे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा। तब मोन्टू, मिस्टर सिंह संग स्पोर्ट्स कम्पटीशन लड़ने का फैसला करता है, जिसमें दोनों स्कूल के बच्चों को ट्रेन कर एक दूसरे से मुकाबला करवाएंगे और जो जीतेगा, वो सबकुछ पा लेगा।

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