उत्तराखंड : चमोली जिले में आई आपदा के बाद तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की 2.5 किलोमीटर लंबी टनल में फंसे 34 व्यक्तियों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। टीम लगातार मलबा हटाकर उनतक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन मलबा ज्यादा होने के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 180 मीटर दूर टी-प्वाइंट पर फंसे व्यक्तियों को बचाने को अब वैकल्पिक रास्ते पर विचार किया जा रहा है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इसपर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

लापता व्यक्तियों की संख्या 174 पार
सात फरवरी को रैणी गांव के समीप ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में 32 लोग हताहत हुए, जबकि लापता व्यक्तियों की संख्या 171 से बढ़कर 174 हो गई है। वही, तपोवन टनल में अब भी 34 जिंदगियां फंसी हुई है, जिन्हें निकालने के तीन दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। आइटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के साथ सेना की टीम रेस्क्यू आपरेशन को अंजाम दे रही हैं। वहीं, नेवी कमांडो मार्कोस को आसपास के नदी क्षेत्रों में लापता व्यक्तियों की तलाश में लगाया गया है।
मलबा हटाने में हो रही मुश्किलें
बताया जा रहा कि कार्यस्थल पर लगभग 50 से 60 फीट मलबा जमा है, जिसे कंपनी हटवाने में असमर्थ है। स्थानीय प्रशासन की ओर से भी इस संदर्भ में कोई पहल नहीं शुरू की गई है। जलजले का मलबा हटाने के लिए कोई पहल नहीं होने से लापता इंजीनियर के भाई ने उत्तराखंड सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की है।