नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी अपनी नीतियों में समय के साथ साथ बदलाव करती रहती है. इस बार भी ऐसा ही हुआ है. कुछ दिन पहले बीजेपी के अध्यक्ष ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता किसी भी पोस्ट पर जा सकता है बीजेपी में वंशवाद, परिवादवाद नहीं है. इसको ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तय किया है कि वह 60 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देगी। पार्टी ने भाई और भतीजावाद से भी दूरी बनाने तथा तीन बार पार्षद रहे नेता को भी टिकट नहीं देने की घोषणा की है।

चुनाव रणनीति पर चर्चा के बाद लिया फैसला
गुजरात में 60 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देगी। पार्टी ने भाई और भतीजावाद से भी दूरी बनाने तथा तीन बार पार्षद रहे नेता को भी टिकट नहीं देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी सोनाली मोदी ने रविवार को ही भाजपा से टिकट की मांग रखी थी। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में सोमवार से प्रदेश भाजपा कार्यालय श्री कमलम पर शुरू हुई भाजपा प्रदेश संसदीय बोर्ड की बैठक में आगामी निकाय चुनाव की रणनीति पर चर्चा की गई। साथ ही, प्रत्याशियों के चयन को लेकर भी एक मार्गदर्शिका तैयार की गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने अपने बयान में कहा कि आगामी निकाय चुनाव में 60 साल से अधिक उम्र के नेता या कार्यकर्ता को पार्टी टिकट नहीं देगी। पार्टी युवा चेहरों को विशेष तवज्जो देगी।
सीआर पाटिल ने कही ये बात-
सीआर पाटिल ने दो टूक कहा कि भाजपा में भाई और भतीजावाद नहीं चलेगा। किसी भी मंत्री, प्रदेश पदाधिकारी, सांसद या विधायक के परिवार और रिश्तेदार को टिकट नहीं मिलेगा। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पाटिल ने यह भी कहा कि तीन बार से पार्षद चुने जा रहे नेताओं को भी इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा। पाटिल एक सख्त और स्पष्ट वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। प्रदेश की कमान संभालने के बाद उन्होंने संगठन में कई बड़े फेरबदल किए हैं। हाल ही गठित संसदीय बोर्ड में भी उन्होंने कई बड़े नाम शामिल नहीं कर अपनी राजनीतिक पकड़ का स्पष्ट संकेत दे दिया था। संसदीय बोर्ड की बैठक तीन फरवरी तक चलेगी।
भाजपा पर निशाना साधने की ये थी वजह-
भाजपा प्रदेश संसदीय बोर्ड की बैठक में विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी के शामिल होने के कथित वीडियो के बाद भाजपा जहां बचाव की मुद्रा में है। वहीं, कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक होता है, इसके साथ समझौता नहीं करना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष अगर मुख्यमंत्री से मिलने भी जाते हैं तो यह भी एक गलत परंपरा है। चूंकि अब तक मुख्यमंत्री ही विधानसभा अध्यक्ष से मिलने जाते रहे हैं। अध्यक्ष पद पर रहते राजनीतिक दल के कार्यालय तथा समारोह में शिरकत नहीं करनी चाहिए। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता यमल व्यास का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल नहीं हुए। बैठक से पहले वे मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आए थे।