नई दिल्ली : मानवाधिकार समूह द्वीप पर रोहिंग्या मुस्लिमों की सुरक्षा को लेकर चिंता जता चुके हैं। क्योंकि यह द्वीप निचला होने के साथ ही तूफान के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। भसन चार नामक यह द्वीप महज 20 साल पहले समुद्र में उभरा बताया गया है। मानवाधिकार समूहों के विरोध के बावजूद बांग्लादेश ने 1,800 से ज्यादा और रोहिंग्या मुस्लिमों को मंगलवार को दूर–दराज के एक निर्जन द्वीप पर पहुंचा दिया। इन्हें नौसेना के पांच पोत के जरिये पहुंचाया गया।

नौसेना के पांच पोत से पहुंचाए गए-
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह भसन चार द्वीप पर लोगों को बसाने की मुहिम में शामिल नहीं है। बांग्लादेश सरकार इन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। बांग्लादेश की नौसेना ने मंगलवार को 1,804 रोहिंग्या शरणार्थियों को द्वीप पर पहुंचाया। इस महीने की शुरआत में पहली बार 1,642 रोहिंग्या मुस्लिमों को द्वीप पर बसाया गया था।
द्वीप पर एक लाख लोगों के रहने की व्यवस्था-
वर्ष 2017 में म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के चलते करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश में चले आए थे। बांग्लादेश ने बाद में द्विपक्षीय समझौते के तहत रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार भेजने का प्रयास किया था, लेकिन किसी ने भी स्वदेश वापसी की इच्छा नहीं जताई।
सरकार ने द्वीप पर एक लाख लोगों के रहने की व्यवस्था की है और द्वीप पर किसी भी खतरे से इन्कार किया है। विदेश मंत्री अब्दुल मोमेन ने कहा, ‘यह द्वीप पूरी तरह सुरक्षित है।