दिल्ली: किसान आंदोलन में भूख हड़ताल पर बैठे किसानों ने अपना उपवास शाम 5 बजे तोड़ दिया. बता दें कि आंदोलन के तमाम किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ आज सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल पर थे. पिछले करीब दो हफ्तों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं लेकिन अब देश के अलग-अलग हिस्सों में उन्हें समर्थन मिल रहा है. वहीं, दूसरी ओर हड़ताली किसानों से इतर 7 राज्यों के कुछ किसान संगठनों की कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात हुई.
अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति-
भारत के अलग-अलग राज्यों के किसान संगठनों द्वारा निर्मित अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के प्रतिनिधि पदाधिकारियों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक ज्ञापन दिया गया है, जिसमें उनका कहना है की “पारित कानून के अनुसार उत्पादन की गुणवत्ता एयर निर्धारित मानकों का आधार पर दाम तय होना है. निजी क्षेत्रों के द्वारा खरीदारी हेतु इन मानकों का होना अत्यंत आवश्यक है, वर्तमान व्यवस्था में जहाँ एक ओर पुराणी तकनीकों के आधार पर रही है, इन मानकों का अनुपालन करना पूर्णतः संभव है.
बिल में कुछ सुधार को लेकर आगे लिखते हैं की, आधुनिक तकनीक इन देश के किसानों को कैसे मिले इसकी समुचित वयवस्था की जाये। नवीनतम तकनीकों को इस देश में लेन हेतु आयात शुल्क 2-5% रखा जाये, कृषि से सम्बंधित कृषि उत्पादक सामग्री पर जीएसटी न्यूनतम रखा जाये। कीटनाशकों पर जीएसटी त्वरित 18से 5% किया जाये या पूर्णतः समाप्त कर दिया किया जाये।
किसान बिल का समर्थन-
किसान बिल का समर्थन करते हुए आगे लिखते हैं की, आज भारत की कृषि व्यवस्था को मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो तीन कानून पारित किये गए हैं. हम इन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आये हैं.

दिल्ली में जारी किसान आंदोलन किसानों में गलतफहमियां-
आगे बोलते हैं की उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में एवं विशषकर दिल्ली में जारी किसान अंदोलन में शामिल कुछ तत्व इन कृषि कानूनों के बारे में किसानों में गलतफहमियां उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं.