नई दिल्ली : भारत ने अपनी पहली 100 फीसदी स्वदेशी मशीन पिस्टल बना ली है। रक्षा मंत्रालय ने इसको मीडिया के सामने रखा और उसकी खासियतें बताईं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारतीय सेना (Indian Army) और इन्फैंट्री स्कूल महू (MHOW) ने मिलकर बनाया है। अब माना जा रहा है कि इस पिस्टल का उपयोग क्लोज कॉम्बैट, वीआईपी सिक्योरिटी और आतंकरोधी मिशन में किया जा सकता है।

ARMY DAY 2021|| आर्मी दिवस क्यों मनाया जाता है जाने रोचक तथ्य
सिर्फ 4 महीने में बनकर तैयार-
इस 9 मिमी मशीन पिस्टल (9 mm Machine Pistol) की डिजाइनिंग DRDO के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट और आर्मी इन्फैंट्री स्कूल, महू ने मिलकर की है। इसे बनाने में डीआरडीओ को सिर्फ 4 महीने लगे हैं। इसके दो वैरिएंट हैं। पहला एक किलोग्राम वजन का दूसरा 1.80 किलोग्राम वजन का है।

Delhi violence : पुलिस पर पिस्टल तानने वाला आरोपी शाहरुख यूपी से गिरफ्तार
किसी भी तरह के माउंट लगाए जा सकेंगे-
9 मिमी मशीन पिस्टल (9 mm Machine Pistol) के ऊपर दुनिया के किसी भी तरह के माउंट लगाए जा सकते हैं। चाहे वो किसी भी तरह का टेलीस्कोप, बाइनोक्यूलर या लेजर बीम क्यों न हो। इस गन का ऊपरी हिस्सा एयरक्राफ्ट ग्रेड के एल्यूमिनियम से बना है, जबकि निचला हिस्सा कार्बन फाइबर से बनाया गया है।

कोचिंग जा रही छात्रा से पिस्टल की नोक पर दरिंदों ने किया गैंगरेप
इतनी रेंज तक 9 मिमी मशीन पिस्टल होगा निशाना-
इस 9 मिमी मशीन को बनाने के लिए थ्रीडी प्रिटिंग डिजाइनिंग की भी मदद ली गई थी। एक पिस्टल की उत्पादन लागत 50 हजार रुपए से कम है। अगर कोई देश चाहे तो इसे भारत से खरीद सकता है, इसमें निर्यात होने की काबिलियत भी है। इस 9 मिमी मशीन पिस्टल (9 mm Machine Pistol) का नाम अस्मि रखा गया है। यानी गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत 100 मीटर की रेंज तक यह पिस्टल सटीक निशाना लगा सकती है। इसकी मैगजीन में स्टील की लाइनिंग लगी है यानी यह गन में अटकेगी नहीं। इसकी मैगजीन को पूरा लोड करने पर 33 गोलियां आती हैं।