पाकिस्तान में उठी अलग सिंधु देश की मांग, मोदी से मांगा सहयोग

पाकिस्तान से सिंध को अलग करने मांग
पाकिस्तान से सिंध को अलग करने मांग

नई दिल्ली : पाकिस्तान के सिंध के लोगों ने प्रांत की आजादी के लिए खुलकर वर्ल्ड लीडर से मदद मांगी है। आधुनिक सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापकों में से एक जीएम सैयद की 117वीं जयंती पर रविवार को जामशोरो प्रांत में एक विशाल रैली निकाली गई। इस दौरान लोगों ने आजादी समर्थक नारे लगाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वर्ल्ड लीडर्स के पोस्टर भी दिखाए गए।

पाकिस्तान से सिंध को अलग करने मांग
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पाकिस्तान आजादी समर्थक नारे भी लगाए

रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सिंध राज्य सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक धर्म का घर है। ब्रिटिश साम्राज्य ने यहां जबरन कब्जा कर लिया गया था और 1947 में पाकिस्तान के इस्लामी हाथों में सौंप दिया।

पाकिस्तान से सिंध को अलग करने मांग
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वर्ल्ड लीडर्स के पोस्टर लहराए गए

नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री, भारत)
जो बाइडेन (प्रेसिडेंट इलेक्ट, अमेरिका)
एंटोनियो गुटेरेस (UN प्रेसिडेंट)
जेसिंडा आर्डर्न (प्रधानमंत्री, न्यूजीलैंड)
मोहम्मद बिन सलमान (क्राउन प्रिंस, सऊदी अरब)
अशरफ गनी (राष्ट्रपति, अफगानिस्तान)
एंजेला मर्केल (जर्मन चांसलर)

पाकिस्तान से सिंध को अलग करने मांग
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बर्बर हमलों के बावजूद सिंध ने पहचान बचाई

जेई सिंध मुत्ताहिदा महाज के अध्यक्ष शफी मुहम्मद बर्फात ने बताया कि इतिहास और संस्कृति पर सभी बर्बर हमलों के बावजूद सिंध ने अपनी एक बहुलवादी, समकालीन, सहिष्णु और सामंजस्यपूर्ण समाज के रूप में अपनी अलग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखा है। सिंध में विदेशी और देशी लोगों की भाषाओं और विचारों को न केवल एक-दूसरे को प्रभावित किया है, बल्कि मानव सभ्यता के सामान्य संदेश को स्वीकार भी किया है।

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पाकिस्तान के अत्याचारों से प्रताड़ित

बर्फात के हवाले से न्यूज एजेंसी ने बताया कि सिंध ने भारत को अपना नाम दिया, सिंध के नागरिक, जो उद्योग, दर्शन, समुद्री नेविगेशन, गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र के धुरंधर थे, वे आज पाकिस्तान के फासिस्ट आतंकियों के राज में रहने को मजबूर हैं। सिंध में कई राष्ट्रवादी पार्टियां हैं, जो एक आजाद सिंध राष्ट्र का समर्थन करती हैं। हम अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्मों पर भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। पाकिस्तान ने हम पर कब्जा किया हुआ है। वह न केवल हमारे संसाधनों को बर्बाद कर रहा है, बल्कि यहां मानवाधिकार उल्लंघन भी हो रहा है।

पाकिस्तान से सिंध को अलग करने मांग
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1967 से चल रहा संघर्ष

सिंध को अलग देश बनाने की मांग 1967 से चल रही है। तब जीएम सैयद और पीर अली मोहम्मद राशिद की लीडरशिप में सिंधुदेश आंदोलन की शुरुआत हुई थी। पिछले कुछ दशकों में यहां पाकिस्तान की सिक्योरिटी एजेंसियों ने कत्लेआम मचा रखा है। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में राष्ट्रवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्टूडेंट्स को प्रताड़ित किया और मार दिया गया।

पाकिस्तान से सिंध को अलग करने मांग
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सिंध में मिली थी सिंधु घाटी की सभ्यता

1921 में सिंध के लरकाना में ही सिंधु घाटी की सभ्यता का पता चला था। भारतीय पुरातत्वविद राखालदास बनर्जी ने यहां खुदाई करवाई थी। सिंध में ही मोहनजोदड़ो स्थित है।

 

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