उत्तराखंड: देहरादून बना देश का 100 फीसद साक्षरता वाला पहला जिला

साक्षरता वाला पहला जिला
साक्षरता वाला पहला जिला

नई दिल्ली। उत्तराखंड का देहरादून शहर देश का 100 फीसद साक्षरता वाला पहला जिला बन गया है। खास बात यह है कि इस उपलब्धि को जिले ने विकट कोरोना काल में हासिल किया है।एकसर्वे के अनुसार जिले में छह वर्ष से ऊपर के जिन 30 हजार 207 निरक्षर व्यक्तियों का चयन किया गया था, सभी अब साक्षर हो गए हैं। साक्षरता अभियान पिछले वर्ष सितंबर में शुरू किया गया था। उस वक्त कोरोना संक्रमण की रोकथाम के तहत हर घर का गहन सर्वे कराया जा रहा था।

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‘पढ़ो दून, बढ़ो दून’

सर्वे में नागरिकों से किए जाने वाले स्वास्थ्य संबंधी सवालों में साक्षरता का सवाल भी जोड़ा गया था। जब यह पता चल गया कि जिले में छह वर्ष से अधिक उम्र के कितने पूर्ण व्यक्ति हैं, तब शिक्षा विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने साथ बैठक कर 30 पृष्ठों का एक पाठ्यक्रम तैयार किया। ‘पढ़ो दून, बढ़ो दून’ नामक साक्षरता के इस अभियान में शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों, प्रधानाचार्यो, शिक्षकों के साथ पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों, पंचायत एवं नगर निकाय के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया और तय किया गया कि 26 जनवरी, 2021 तक सभी निरक्षर व्यक्तियों को साक्षर बनाना है। इसका सही परिणाम यह रहा कि लक्ष्य से पहले सभी निरक्षर व्यक्तियों को साक्षर बना दिया गया।

साक्षरता वाला पहला जिला
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निरक्षरता की समस्या को दूर-

बताया गया है कि सात वर्ष से अधिक आयु वर्ग का एक व्यक्ति, जो किसी भी भाषा में अपनी समझ से पढ़ और लिख सकता है, को साक्षर माना जाता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 75.06 प्रतिशत है। केरल में साक्षरता दर सबसे ज्यादा 94 प्रतिशत है, जबकि बिहार में सबसे कम 64 प्रतिशत है। भारत में शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच भी निरक्षरता का व्यापक अंतराल है। यहां तक कि पुरुष और महिला आबादी के बीच भी साक्षरता में एक बड़ी असमानता है। लिहाजा सरकारों को उचित कार्यान्वयन और बजट के साथ प्रभावी कार्यक्रमों को शुरू करने से पहले देश में निरक्षरता की समस्या को दूर करना चाहिए।

जाहिर है की अगर हम भारत को एक विकसित देश बनना चाहते हैं तो हमें अशिक्षा को एक रोग के तौर पर देखना होगा और इसे जड़ से खत्म करना होगा। यदि भारत के बाकी राज्य भी देहरादून से सबक लेकर दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दें तो भारत को सौ फीसद साक्षरता वाले देश का गौरव हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता है।

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