नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के ललितपुर निवासी विष्णु तिवारी को हाई कोर्ट ने 20 साल बाद रेप और हरिजन एक्ट के मामले में निर्दोष करार दिया है। बता दें विष्णु तिवारी को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। विष्णु तिवारी के निर्दोष साबित होने के बाद भी परिवार में खुशी नहीं है। 20 साल बाद बेटे के छूट जाने के बाद भी परिवार वालों के चेहरे पर खुशी नहीं है, जो उन्हें सुकून दे सके।

18 साल की उम्र में सजा-
बता दें की विष्णु तिवारी पर जब हरिजन एक्ट और रेप का मामला महरौनी कोतवाली में दर्ज कराया गया था उस समय विष्णु सिर्फ 18 साल के थे, जिसके बाद सेशन कोर्ट द्वारा पुलिस की विवेचना रिपोर्ट के आधार पर साल 2000 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। यह पूरा मामला ललितपुर जिले के महरौनी कोतवाली अंतर्गत सिलवार ग्राम का है, जहां रहने वाले रामेश्वर प्रसाद तिवारी को उनके बेटे पर लगे रेप और हरिजन मामले के तहत समाज का तिरस्कार खेलना पड़ा। ऐसे में उन्हें सदमा लग गया और उन्हें लकवा मार गया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। जिसके बाद विष्णु के भाई दिनेश की भी मौत हो गई। उनकी मां भी निर्दोष विष्णु तिवारी को याद करते-करते भगवान के पास चली गई।
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न्यायपालिका पर उठे सवाल-
20 साल बाद जब उन्हें निर्दोष साबित किया गया तो अब न्याय और कानून को लेकर उनके परिवार में बचे छोटे भाई महादेव तिवारी, भतीजे सत्येंद्र तिवारी और विधवा भाभी सुषमा तिवारी सवाल उठा रहे हैं- कि क्या सरकार, कानून, न्यायपालिका बर्बाद हो चुके उनके परिवार के वह 20 साल लौटा सकती है.निर्दोष विष्णु तिवारी के मां-बाप और उनके दो भाई जो इस खबर की वजह से सदमे में चले गए और उनकी मौत हो गई…क्या न्यायपालिका उनको लौटा सकती है? क्या न्यायपालिका वह आखिरी पल लौट आ सकती है जब विष्णु तिवारी अपने माता-पिता और दोनों भाइयों के अंतिम दर्शन तक नहीं कर सके।