नई दिल्ली : माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में प्रकाशित एक संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार के कोविड-19 महामारी से ‘‘अनर्थकारी ढंग से’’ निपटने का कारण विज्ञान की जगह उसका ‘‘हिन्दुत्ववादी नजरिए’’ पर भरोसा करना है। संपादकीय में सरकार से सवाल किया गया कि वह उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ के सुझाव का पालन करने में क्यों विफल रही जिसने मौजूदा टीकाकरण नीति पर पुनर्विचार करने को कहा था और सुझाव दिया था कि वह राज्यों को टीका आवंटन तथा प्रदायगी कार्यक्रम पर फैसला करे, न कि उन्हें दो टीका विनिर्माता कंपनियों से सौदा करने को छोड़े।

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हिन्दुत्व की पट्टी
इसमें कहा गया, ‘‘टीकाकरण में अफसलता और पिछले एक पखवाड़े में राज्यों में टीकाकरण की दर गिरकर 60 प्रतिशत होने के बाद कोई भी संवेदनशील सरकार टीकाकरण कार्यक्रम पर फिर से काम करने के उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप का लाभ उठाती। लेकिन यह संवदेनशील सरकार नहीं है-यह ऐसी सरकार है जिसकी आंखों पर नव-उदारवाद और हिन्दुत्व की पट्टी बंधी है।’’

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इसने कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रदत्त नागरिकों के जीवन के अधिकार के आधार पर सरकार को उसकी नीति बदलने के लिए निर्देश देने की इच्छाशक्ति दिखाएगा। संपादकीय में कहा गया, ‘‘सरकार के कोविड लहर से अनर्थकारी ढंग से निपटने का अन्य कारण विज्ञान पर भरोसा करने की अक्षमता तथा हिन्दुत्वादी नजरिए पर विश्वास करना है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन के व्यवहार की और किस चीज से व्याख्या की जा सकती है?’’

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इसमें कहा गया कि महामारी के मामलों में अप्रैल के मध्य में वृद्धि शुरू हुई और मंत्री ने देशी गायों पर अनुसंधान कार्यक्रम के संबंध में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। माकपा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाया जिन्होंने कोरोना संकट के दौरान प्रत्येक जिले में गायों के संरक्षण के लिए ‘‘हेल्प डेस्क’’ स्थापित करने का आदेश दिया।