नई दिल्ली: तमिलनाडु से लेकर बंगाल तक पांच राज्यों के चुनाव होने जा रहे है। ऐसे में राष्ट्रीय नेताओं ने अपनी राजनीति को दुरुस्त करने काम करना शुरु कर दिया है। उसी बीच गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी दो हफ्ते की छुट्टी के बाद लौटते ही जल्लीकट्टू के उत्सव में शरीक हुए और तमिलनाडु का दौरा किया। गांधी के इस दौरे का मकसद तमिलनाडु में कांग्रेस नेताओं और संगठन में सरगर्मी को बढ़ाना है जिससे गठबंधन के सीट बंटवारे में पार्टी को ज्यादा सीटें हासिल हो सके।

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कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के प्रयास-
दरअसल कांग्रेस पार्टी तमिलनाडु में उसके अपने सहयोगी द्रमुक के नेता स्टालिन पर दबाव बनाना चाहती है। यही कारण है कि राहुल गांधी ने पोंगल के मौके पर पार्टी के सियासी गढ़ मदुरै में अपने आक्रामक तेवरों के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने की कोशिश की है। बता दें कि, स्टालिन ने बिहार चुनाव के तत्काल बाद कांग्रेस को अपनी राजनीतिक वास्तविकता के हिसाब से सीटें लेने की सलाह खुले तौर पर दे दी थी।

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राहुल कि सियासी सक्रियता पार्टी की रणनीति-
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन ने राज्य की 39 में से 38 लोकसभा सीटें जीतीं। जयललिता के अवसान के बाद अन्नाद्रमुक में नेतृत्व को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान और सत्ता विरोधी भावना को देखते हुए अप्रैल में होने वाले चुनाव में द्रमुक को सत्ता का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इस लिहाज से भी स्टालिन सीट बंटवारे में अबकी बार ज्यादा जोखिम नहीं उठाना चाहते। वैसे स्टालिन के साथ राहुल गांधी के निजी ताल्लुकात काफी अच्छे हैं और यही कारण है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की तमिलनाडु में बढ़ी सियासी सक्रियता पार्टी की रणनीति का हिस्सा है।