पश्चिम बंगाल: ओवैसी बिगाड़ेंगे ममता का खेल, विरोधी अब्बास सिद्दीकी से मिलाया हाथ

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नई दिल्ली: इस साल अप्रैल-मई के महीनों में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी दाव आजमाने की तैयारी कर रही है। इसके चलते ओवैसी रविवार को ममता बनर्जी को राज्य की सत्ता तक पहुंचाने वाले सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की शरण में जा पहुंचे।

उद्देश्य भाजपा की मदद करना है-

रविवार को पश्चिम बंगाल दौरे पर पहुंचे ओवैसी ने हाल के महीनों में सत्तारूढ़ पार्टी के सबसे मुखर आलोचक के रूप में उभरने वाले अब्बासुद्दीन सिद्दीकी से हुगली में मुलाकात की। दो घंटे की बैठक के बाद, ओवैसी ने कहा कि बंगाल में हमारी पार्टी सिद्दीकी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। वही यह तय करेंगे कि एआईएमआईएम कैसे चुनाव लड़ेगी। ओवैसी और सिद्दीकी की बैठक की खबर से मुस्लिम नेताओं और टीएमसी मंत्रियों के बीच प्रतिक्रिया शुरू हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि ओवैसी का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोटों को विभाजित करना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद करना है।

मुस्लिम वोट बैंक का एक गेमचेंजर-

पश्चिम बंगाल की सियासत में 31 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। पीरजादा अब्बास सिद्दीकी जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं, उसे इस मुस्लिम वोट बैंक का एक गेमचेंजर माना जाता है। लंबे वक्त से सिद्दीकी ममता बनर्जी के करीबियों में से एक रहे हैं। बीते कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, ऐसे में ओवैसी से उनका मिलना अहम है।  सिद्दीकी ने ममता सरकार पर मुस्लिमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।

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बंगाल की करीब 100 सीटों पर फुरफुरा शरीफ दरगाह का प्रभाव है। ऐसे में चुनाव से पहले दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की नाराजगी मोल लेना ममता के लिए सियासी रूप से फायदे का सौदा नहीं साबित होने वाला है।

पश्चिम बंगाल: लगाया विभाजन का आरोप-

टीएमसी सरकार में मंत्री और बंगाल के सबसे प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेता सिद्दीकुल्ला चौधरी ने बताया कि ओवैसी का राज्य की राजनीति में कोई स्थान नहीं है। एआईएमआईएम का संबंध बंगाल से नहीं है। ये मुस्लिमों में विभाजन पैदा करने की रणनीति है, लेकिन यह काम नहीं करेगा। शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि सिद्दीकी और एआईएमआईएम बंगाल पर शासन नहीं कर सकते हैं। वे केवल भाजपा की मदद कर सकते हैं। हमने यह उत्तर प्रदेश और बिहार में होता देखा है।

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भाजपा ओवैसी से चिंतित नहीं-

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ओवैसी किसी भी पार्टी में जा सकते हैं या कहीं भी चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा चिंतित नहीं है। टीएमसी चिंतित है क्योंकि वह मुस्लिम वोट बैंक को अपनी संपत्ति मानता है। अगर टीएमसी ने वास्तव में मुसलमानों के कल्याण के लिए काम किया है, तो उसे चिंतित क्यों होना? वहीं ओवैसी ने भाजपा से सांठगांठ के आरोंपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका या उनकी पार्टी का भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है।

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