दुल्हन घोड़ी पर चढ़कर बारात लेकर पहुंची दूल्हे के घर

बारात‍ियों ने लगाए ठुमके
बारात‍ियों ने लगाए ठुमके

नई दिल्ली : दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ते सभी ने देखा होगा लेकिन दुल्हन को घोडी पर चढ़ते शायद ही देखा होगा। लेकिन यह सच है, सतना शहर के बलेचा परिवार की इकलौती बेटी ने घोड़ी पर चढ़कर दूल्हे के घर बारात लेकर गई है। वही बताया गया है कि बारात बड़ी ही धूमधाम से सतना से कोटा के लिए रवाना हुई थी।

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सतना के वालेचा परिवार ने घोड़ी पर चढ़ने की बेटी की न केवल इच्छा पूरी की है, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया है कि बेटियां किसी पर बोझ नहीं होती है। आज के युग में बेटा और बेटी में कोई अंतनहीं होता है।समाज ने जितना अधिकार बेटों को दिया है। उतना ही अधिकार बेटियों को भी दिया है। सतना के कृष्ण नगर इलाके में रहने वाले नरेश बलेजा की इकलौती बेटी दीपा की शादी का यह सीन जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया, नजारा ही कुछ ऐसा था कि दुल्हन घोड़ी पर सवार थी और बारात दूल्हे के घर रवाना हो रही थी। इस दौरान घोड़ी के आसपास पूरा परिवार डांस कर झुम रहा था।

दुल्हन की बारात
दुल्हन की बारात

दीपा की शादी कोटा में रहने वाले एक परिवार में तय हुई थी। बेटी की ख्वाहिश थी कि वह बेटों की तरह घोड़ी पर बैठ कर अपने दूल्हे के घर जाए, इस ख्वाहिश को परिवार ने पूरा किया है। आपनी बेटी की इच्छा पुरी कर समाज को यह सन्देश दिया की उनका परिवार बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं समझता है । अपनी बेटी की शादी वह एक बेटे की तरह धूमधाम से करना चाहते थे। जिस के चलते बेटी की बारात बड़े धूमधाम से निकाली थी।

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बता दे कि परिवार में कई सालों बाद उनके परिवार में एक बेटी हुई थी। परिवार अपनी बेटी को बेटे से भी ज्यादा प्यार करता है ।भारत में अक्सर बेटों को प्राथमिकता दी जाती है। लिहाजा वह अपनी बेटी की बारात निकाल कर समाज को यह मैसेज देना चाते है कि बेटियों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि कल का भविष्य लड़किया ही तय करती है। आज भी हमारे समाज में कुछ कुरीतियां मौजूद जो बेटियों को बोझ समझती है। दीपा की शादी उनके लिए एक संदेश है जो बेटियों को बोझ समझते हैं। समाज के लिए यह सीख भी है कि बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं होता है। जितना अधिकार बेटे का घर में होता है। उतना ही अधिकार बेटी का भी होता है।

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