किसान आंदोलन की वजह से खराब हुई फसल, टिकैत के खिलाफ भड़का गुस्सा

किसान आंदोलन
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नई दिल्ली: किसान आंदोलन: दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर विवादित किसान बिल को लेकर किसानों ने आंदोलन कर रखा है अब वो आंदोलन तीन महीने से अधिक हो गया तो अब दिल्ली बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है। आपको बता दें हरियाणा के बहादुरगढ़ से सटे दिल्ली के सीमावर्ती गांव झाड़ौदा कलां के ग्रामीणों का सब्र टूट गया है। बहादुरगढ़ बॉर्डर पर आवाजाही बंद किए जाने के विरोध में गांव वालों ने सड़क पर यातायात अवरुद्ध कर दिया। प्रदर्शन के दौरान कृषि कानूनों के विरोध में बार्डर पर जमे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ग्रामीणों ने खूब नारेबाजी की। इस दौरान राकेश टिकैत के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की गई। करीब दो घंटे तक ग्रामीणों ने गांव से गुजरने वाली बहादुरगढ़ रोड पर आवागमन को रोके रखा। बाद में पुलिसकर्मियों के समझाने पर ग्रामीण सड़क से हटने को राजी हुए।

किसान आंदोलन: फिर करेंगे यातायात जाम

गुस्साए ग्रामीणों ने बताया कि कि यदि जल्द ही बार्डर पर आवागमन शुरू नहीं किया गया तो दोबारा यातायात बाधित किया जाएगा। यह मसला केवल झाड़ौदा कलां गांव से ही नहीं बल्कि दिल्ली देहात के हर सीमावर्ती गांव से जुड़ा है। इस मसले पर झाड़ौदा कलां गांव को दिल्ली के सभी गांवों का समर्थन प्राप्त है।

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कई तरह की परेशानी

नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र में स्थित झाड़ौदा कलां गांव से जितनी दूरी नजफगढ़ की है उससे काफी कम दूरी बहादुरगढ़ की है। चाहे बच्चों की पढ़ाई लिखाई हो या रोजमर्रा से जुड़ी जरूरतें, तमाम चीजों के लिए लोग बहादुरगढ़ ही जाते हैं। लेकिन अब बहादुरगढ़ जाने का कोई सीधा रास्ता नहीं होने के कारण लोगों के लिए छोटी सी दूरी भी लंबी दूरी बन चुकी है। यदि पैदल बहादुरगढ़ के लिए जाएं तो गांव से करीब तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। गांव वालों का कहना है कि जिस दौर में एक मिनट का समय भी मायने रखता है उस दौर में तीन किलोमीटर पैदल चलना यानि कम से कम आधे घंटे का वक्त लगना है।

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पूरी व्यवस्था हो गई चौपट

ग्रामीणों का कहना है कि बहादुरगढ़ मेन रोड पर यातायात बंद होने के कारण अब हरियाणा व दिल्ली के बीच आवागमन के लिए लोग खेतों के बीच से गुजरने वाले रास्तों का प्रयोग करते हैं। ये ऐसे रास्ते हैं जिनका इस्तेमाल किसान केवल खेतीबाड़ी से जुड़े कार्यों में करते थे। लेकिन अब इन रास्तों पर बड़ी संख्या में वाहन गुजरते हैं। कई बार तो भारी वाहन भी इन रास्तों से गुजरते हैं। कई वाहन चालक गांव की आंतरिक सड़कों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। वाहनों के भारी दवाब के कारण सड़कें जर्जर होने लगी हैं।

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